टिकैट ने किसानों को दिया गेहूं काटने का वक्त  

नई दिल्ली
 पिछले 4 महीनों से किसानों का आंदोलन जारी है। पहले प्रदर्शनकारियों ने भीषण ठंड झेली, तो वहीं अब वो गर्मी में भी डटे हुए हैं। उम्मीद जताई जा रही थी कि दो-चार महीने में किसान अपने-अपने घर वापस लौट जाएंगे, लेकिन अब हालात कुछ और ही है। किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक वो डटे रहेंगे। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत का नया बयान सामने आया है। टिकैत ने कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को आठ महीनों तक चलना होगा क्योंकि ये उनके अधिकारों और भूमि का सवाल है। 10 मई के बाद आंदोलन और तेज करने की योजना है, तब तक किसान गेहूं की फसल काटने में लगे रहेंगे। 

हालांकि टिकैत का ये बयान कोई नई बात नहीं है, उन्होंने पहले ही कहा था कि किसान सालभर का राशन लेकर आए हैं, ऐसे में जब तक मोदी सरकार नए कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने बुधवार को बताया था कि लाखों प्रदर्शनकारी मई में संसद का घेराव करेंगे। मोदी सरकार और संसद किसानों की बात नहीं सुन रही है, इसलिए संसद के सामने जाना और अपनी मांग उठाना किसानों का अधिकार है। 

हन्नान के मुताबिक किसान संगठन अब से मई के बीच कुछ समय तय करेंगे, ताकी आंदोलन का सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। सरकार ला रही ऐसा कानून- अब खेती करने वाला ही कहलाएगा किसान, मुआवजे का हकदार भी होगा 26 मार्च को किया था भारत बंद 26 मार्च को किसान आंदोलन के 120 दिन पूरे हुए, जिस वजह से किसानों ने भारत बंद का आह्वन किया था। इस दौरान कई जगहों पर ट्रेनों और यातायात को रोका गया। इससे पहले 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। उस दौरान दिल्ली के लालकिले और आईटीओ पर जमकर हिंसा हुई। जिसके बाद कई संगठनों ने अपने हाथ इस आंदोलन से पीछे खींच लिए थे।
 

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