धनबाद की अर्पिता मुखर्जी ने शास्त्रीय गायन से किया मंत्रमुग्ध

रायपुर
पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान संगीत रसिकों के लिए आॅनलाइन प्रस्तुति देने का सिलसिला शुरू हुआ था। इसी कड़ी में रविवार को 43वीं प्रस्तुति हुई। इसमें धनबाद की अर्पिता मुखर्जी ने शास्त्रीय गायन पेश कर संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गुनरसपिया फाउंडेशन के नेतृत्व में सुबह आॅनलाइन में छत्तीसगढ़ के अनेक संगीत प्रेमी जुड़े प्रख्यात संगीत गुरु पंडित अमियरंजन बंदोपाध्याय की गंडाबन्ध शागिर्द अर्पिता की प्रारंभिक संगीत शिक्षा उनकी माता काबेरी मजूमदार से हुई।

उन्होंने स्व. प्रमोद दास एवं स्व. चेतन जोशी से संगीत की शिक्षा प्राप्त की। कलाकार अर्पिता आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की ग्रेड की कलाकार हैं, केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय से स्कॉलरशिप भी प्राप्त है। वे धनबाद में शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उन्होंने अपने गायन की शुरूआत राग बिलखानी तोड़ी में विलंबित एकताल में निबद्ध बड़े ख़्याल- एरी मेरे आए से की। इसके बाद मध्यलय तीन ताल में प्रसिद्ध बंदिश- जा जा रे जा रे खगवा की सुंदर प्रस्तुति के बाद मीरा बाई के भजन- कोई कहियो रे, प्रभु आवन की गाकर अपने गायन का समापन किया। उनके साथ तबले पर संजय भंडारी ने एवं हारमोनियम पर उनकी गुरु एवं माता काबेरी मजूमदार ने बखूबी संगत दी। श्रोताओं ने उनके कार्यक्रम को लगातार दाद दी। अब तक गुनरस पिया की सभा में गायन, तबला वादन, सितार, सरोद, सारंगी, संतूर वादन की प्रस्तुतियां हो चुकी हैं।

संयोजक दीपक व्यास ने बताया कि युवा एवं नवोदित कलाकारों को रविवासरीय संगीत सभा के माध्यम से जन जन तक पहुचाने का कार्य संस्था द्वारा अनवरत जारी है। गुनरस पिया फाउंडेशन द्वारा कोरोना काल में देश-विदेश के कलाकारों को आॅनलाइन कार्यक्रम प्रस्तुति के लिए अवसर दिया जा रहा है। गुनरस पिया फाउंडेशन शास्त्रीय संगीत के संरक्षण एवं प्रचार प्रसार के लिए लगातार कार्य कर रहा है।

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