प्रदेश में कोरोना मरीजों से मनमाना किराया वसूल रहे निजी एंबुलेंस के मालिक

पटना
कोरोनावायरस के संक्रमण ने बिहार में दोबारा पांव पसार लिया है. रोजाना कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है. संक्रमण दर इस कदर बेकाबू होते जा रहे हैं कि केवल 17 दिनों के अंदर ही इसमें आठ गुना बढ़ोतरी हो गई है. वहीं मरीजों की संख्या बढ़ने पर अस्पतालों पर दवाब काफी अधिक बढ़ चुका है. इसके साथ ही एंबुलेंस की डिमांड भी काफी तेजी से बढ़ी. एंबुलेंस की व्यवस्था में मरीजों के जेब भी ढ़ीले किये जा रहे हैं. प्राइवेट एंबुलेंस के लिए कोई तय किराया नहीं रखा गया है. अपने हिसाब से मरीजों से मनमाना वसूली जारी है.

बिहार में एंबुलेंस की डिमांड बढ़ गई है. मरीजों को अस्पताल ले जाना हो या मृत कोरोना संक्रमित के शव को श्मशान घाट तक, प्राइवेट एंबुलेस सेवा लेने पर मनमाना राशि ही देना पड़ता है. शहर के अंदर अस्पताल तक लेकर जानें के लिए 5 से 7 हजार तो दूसरे शहरों तक ले जाने के लिए मरीजों के परिजनों से 10 से 15 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं. मरीज के बिगड़ते हालात और ऑक्सीजन की उपलब्धता को सोचकर परिजनों को मजबूरी में ये पैसे देने पड़ते हैं.

राज्य में इस मनमाने वसूली पर इस कष्ट भरे दौर में भी कोई सुध लेने वाला नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि निजी एंबुलेंस को रेगुलेट करने के लिए राज्य के पास कोई प्राधिकार नहीं है. जिसके कारण इनका कोइ किराया तय नहीं किया गया है. यही कारण है कि निजी एंबुलेंस मनमाना किराया वसूल करते हैं. बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग के पास अभी कोई आंकड़े भी नहीं हैं जिससे यह पता चले कि सूबे में कितने प्राइवेट एंबुलेंस चल रहे हैं.

वहीं राज्य में 1200 सरकारी एंबुलेंस भी चल रहे हैं. डायल 102 पर फोन करने के बाद ये एंबुलेंस नि:शुल्क सेवा देते हैं. लेकिन कई जिलों से ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि ये एंबुलेंस कोरोना मरीजों को सही समय पर सेवा नहीं दे पा रही है. कई एंबुलेंसों की हालत भी खास्ता बताई जा रही है. प्रदेश में 100 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी हैं जबकि 800 नए एंबुलेंस के खरीद की घोषणा दो महीने पहले ही कर दी गई है लेकिन इसपर अभी तक कोई कदम आगे बढ़ता नहीं दिखा है.

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