300 से ज्‍यादा किसानों पर मुकदमे और लाठीचार्ज के विरोध में बड़ा प्रदर्शन

हिसार
हरियाणा के हिसार में किसान प्रदर्शनकारियों पर मुकदमों के विरोध में आज बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। इस महीने की शुरुआत में हिसार में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें काफी प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी जख्‍मी हुए थे। पुलिस ने 300 से अधिक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और 80 से ज्‍यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था। राकेश टिकैत समेत किसान संगठनों के कई नेताओं ने इसका विरोध किया। हालांकि, आश्‍वासन के सिवाए पुलिस-प्रशासन से कुछ नहीं मिला। ऐसे में सरकार के विरुद्ध हरियाणा के विभिन्‍न गांव-कस्‍बों में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। आज हिसार में विरोध-प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहा है, जबकि 26 मई को दिल्‍ली में आंदोलन तेज होने जा रहा है।
 
विरोध को देखते हुए, जिला प्रशासन ने हिसार में सुरक्षा बढ़ा दी है। विशेष रूप से पुलिस आयुक्तालय को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदर्शनकारियों से निपटें। बता दिया जाए कि, हिसार में पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प विगत 16 मई को हुई थी, जब सीएम मनोहर लाल खट्टर के दौरे का विरोध करने एकत्रित हुए लोगों का पुलिस से टकराव हुआ था। लोगों ने पत्‍थर फेंके, वहीं पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। सीएम खट्टर अस्पताल का उद्घाटन करने में सफल रहे, लेकिन पुलिस की कार्रवाई से नाराज किसानों ने हरियाणा में कई प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया और कुछ प्रदर्शनकारी किसानों की गिरफ्तारी के खिलाफ हिसार के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के आवास का घेराव भी किया। गिरफ्तार लोगों के रिहा होने के बाद वे तितर-बितर हो गए।
 
वहीं, अब संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की अगुवाई में 40 से अधिक किसान संगठन, जो कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा हैं, ने 26 मई से आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया है। हरियाणा और उसके पड़ोसी राज्य पंजाब, कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध के केंद्र के रूप में उभरे हैं। उनमें से ज्यादातर किसान दो उत्तरी राज्यों से ताल्‍लुक रखते हैं जो कि दिल्ली में तीन सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।

पिछले साल सितंबर में कानून पारित किए गए थे, जिससे किसानों और केंद्र सरकार के बीच तनाव शुरू हो गया। तब से अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध तोड़ने में नाकाम रही है। दोनों पक्ष आखिरी बार 22 जनवरी को आमने-सामने बैठे थे। हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत को फिर से शुरू करने की मांग की थी। आंदोलन को छह महीने पूरे हो रहे हैं।

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