एयर इंडिया के बाद अब एलआईसी, आईडीबीआई बैंक समेत इन सरकारी कंपनियों में अपना हिस्सा बेचेगी सरकार

नई दिल्ली
 सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसकी घोषणा की थी। एयर इंडिया के सफल निजीकरण से सरकार की रणनीति और लक्ष्य पटरी पर आता हुआ दिख रहा है। एयर इंडिया के बाद सरकार ने आईडीबीआई बैंक, श‍िपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, बीईएमएल, पवन हंस और नीलांचल इस्पात निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। जबकि बीपीसीएल के विनिवेश की प्रक्रिया इस साल दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं एलआईसी के आईपीओ के जरिये 10 फीसदी हिस्सेदारी अगले साल मार्च तक बेचे जाने की तैयारी अंतिम चरणों में है। कैबिनेट ने इसके लिए मंजूरी दे दी है।

एलआईसी से सबसे अधिक उम्मीद

सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का विनिवेश इस वित्त वर्ष के अंत यानी मार्च 2022 तक करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए एलआईसी का आईपीओ लाने की तैयारी है जिसके लिए मर्चेंट बैंकर नियुक्त किए जा चुके हैं। एलआईसी का मूल्यांकन आठ से 10 लाख करोड़ रुपये होने की अनुमान है। ऐसा होने पर सरकार इसकी 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 80 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटा सकती है। एलआईसी का आईपीओ भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ साबित हो सकता है।

बीपीसीएल से कितना मिलेगा

सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) का पूरी तरह से निजीकरण करने जा रही है। इसमें केंद्र सरकार अपनी पूरी 52.98% हिस्सेदारी बेच सकती है। बाजार मूल्य के हिसाब से इस हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को करीब 52 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। बीपीसीएल को खरीदने के लिए वेदांता, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और थिंक गैस जैसी कंपनियों ने रुचि दिखाई है।  इस बैंक में केंद्र सरकार और और एलआईसी की कुल मिलाकर 94 फीसदी हिस्सेदारी है। एलआईसी की 49.24 फीसदी और सरकार की 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा 5.29 फीसदी हिस्सेदारी अन्य की है। इसका विनिवेश भी चालू वित्त वर्ष में होना है।

एससीआई और पवन हंस

श‍िपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) और पवन हंस का भी निजीकरण मार्च 2022 से पहले किया जाना है। श‍िपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार अपनी पूरी 63.75 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। वहीं हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी पवन हंस में सरकार की 51 फीसदी हिस्सेदारी है और 49 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी तेल एवं गैस कंपनी ओएनजीसी की है। सरकार पिछले कई साल से पवन हंस का निजीकरण करने की तैयारी में है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।

नीलांचल इस्पात और बीईएमएल

नीलांचल इस्पात निगम और बीईएमएल का भी निजीकरण मार्च 2022 तक किया जाना है। नीलांचल इस्पात निगम में केंद्र सरकार की कई कंपनियों एमएमटीसी, एनएमडीसी, बीएचईएल, एमईसीओएन और ओडिशा सरकार की दो कंपनियों ओएमसी और आईपीसीओएल का संयुक्त उद्यम है। वहीं बीईएमएल में सरकार अपनी 54.03% हिस्सेदारी में से सिर्फ 26 फीसदी बेचना चाहती है। 1964 में स्थापित यह कंपनी रेल के कोच और स्पेयर पार्ट्स तथा माइनिंग इक्विपमेंट बनाती है।

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