कश्मीर छोड़ रहे प्रवासी, बिहार जाने वाली ट्रेनों में लंबी वेटिंग

पटना
जान का खतरा देख कश्मीर छोड़ रहे प्रवासी, बिहार जाने वाली ट्रेनों में लंबी वेटिंग
जम्मू कश्मीर में हालिया आतंकी घटनाओं में मारे गए गैर कश्मीरी लोगों की हत्या से वहां रहने वाले खौफ के साये में रहने को विवश हैं। जम्मू में हालत थोड़े सामान्य जरूर हैं, लेकिन कश्मीर की हालत ठीक नहीं है। अभी वहां नहीं लौटेंगे। यह कहना है सीवान के रहने वाले मो मसीद रहमान का। कश्मीर में मिस्त्री का काम करने वाले मसीद जम्मू से नई दिल्ली पहुंचने के बाद वहां से पटना पहुंचे थे। 03414 दिल्ली मालदा टाउन फरक्का एक्सप्रेस से जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या दो पर आए मसीद ने बताया कि कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह बहुत गलत हुआ। अब आगे ऐसा किसी भी गैर कश्मीरी के साथ नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि मिस्त्री का काम और सेव बगान में काम करने वाले लोगों से भला कौन-सी दुश्मनी आतंकी निकाल रहे हैं।

भोले-भाले लोगों को टारगेट करके मारने के सवाल पर वहां से आए सूरज कुमार ने बताया कि वहां हमें लोकल सपोर्ट नहीं मिला। बताया कि काम करने के बाद सीधे खाना खाकर हमलोगों को घर में बंद होना पड़ रहा है। सूर्यास्त से पहले ही घरों में ताले लग रहे हैं। आखिर, अपने देश में ही ऐसी विवशता नागरिक क्यों बर्दाश्त करेंगे? ट्रेन की बोगी संख्या एस आठ से आ रहे सुबोध सिंह ने बताया कि वहां जम्मू के एक निजी फर्म में काम करके जीवन यापन चलाते हैं। कहा कि सरकार की ओर से लोगों के जान की रखवाली की व्यवस्था समय की मांग है।

यात्रियों ने कहा, जान है तो जहान है

जम्मू से वाया दिल्ली लौटे यात्रियों ने बताया कि कश्मीर के हालात ऐसे हो गए हैं कि वहां रहने में डर लगने लगा है। कश्मीर के सेब लोडिंग के काम से जुड़े अरमान ने बताया कि उन्हें छठ के समय में बिहार आना था, लेकिन स्थिति असामान्य होने की वजह से आना पड़ गया। कहा कि पहले जान है तो जहान है। जिंदगी रहने के बाद तो आदमी कहीं भी कमा खा लेगा। नालंदा निवासी बंटी ने बताया कि पिछले छह वर्ष से जम्मू में काम कर रहे थे। लेकिन अब डर की वजह से अपने गांव जा रहे हैं। अब गांव में ही कमाएंगे खाएंगे।
 

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