विदेशों में तेजी से सरसों, सोयाबीन में सुधार, बिनौला में गिरावट

 नई दिल्ली 
विदेशी बाजारों में तेजी के बीच दिल्ली मंडी में शुक्रवार को सोयाबीन और सर्दियों की मांग बढ़ने से सरसों में सुधार का रुख रहा जबकि बिनौला के नये फसल की आवक बढ़ने के बीच इसके तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की तेजी है जबकि फिलहाल शिकॉगो एक्सचेंज में 0.2 प्रतिशत की तेजी है। उन्होंने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय स्तर पर सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की कुछ मांग आने से सोयाबीन (तिलहन) में सुधार आया जबकि सर्दियों की मांग बढ़ने और मंडियों में आवक कम होने से सरसों तेल-तिलहन में भी पर्याप्त सुधार हुआ। वहीं दूसरी तरफ बिनौला के नये फसल की मंडियों में आवक बढ़ने के बीच भाव टूटने से इसमें गिरावट देखने को मिली।
 
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सोयाबीन की आवक घटी है और किसान नीचे भाव में अपना माल नहीं बेच रहे। जिन्हें पैसे की सख्त आवश्यकता है केवल वहीं किसान मजबूरी में अपनी ऊपज मंडी में बेच रहे हैं। आगामी छुट्टियों के कारण तेल संयंत्र वालों की मांग है। इसके अलावा डीओसी की भी कुछ मांग निकल आई है जिसकी वजह से सोयाबीन तिलहन में सुधार आया। राजस्थान के कोटा में डीओसी का भाव बढ़कर 4,100 रुपये क्विन्टल हो गया। सूत्रों ने कहा कि पामोलीन का पहले ही अधिक मात्रा में आयात हो रखा है और बाजार टूटने से हालात यह है कि आयातकों को आयात भाव से 700 रुपये क्विन्टल नीचे भाव पर पामोलीन की बिक्री करनी पड़ रही है। सरकार को इसकी निगरानी रखनी होगी कि इस भाव टूटने का लाभ उपभोक्ताओं को मिल रहा है अथवा नहीं।
 
सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित सरसों की मांग चौतरफा है। देश में ब्रांडेड तेल कंपनियों के अलावा खुदरा तेल मिलों के सरसों तेलों की मांग काफी बढ़ रही है। त्योहारों के साथ जाड़े की सरसों मांग बढ़ने से इन छोटे तेल मिलों की दैनिक मांग लगभग 80 हजार बोरी से बढ़कर 85,000 बोरी सरसों की हो गयी है। मांग बढ़ने के साथ साथ सरसों की उपलब्धता निरंतर कम होती जा रही है। यह उपलब्धता दीपावाली के बाद और कम हो जायेगी। उन्होंने कहा कि इस बार राजस्थान में पीली सरसों की बुवाई अच्छी मात्रा में हुई है। पीली सरसों की तेल रिफाइंड तेल जैसे होते हैं और इन्हें स्वास्थ्यप्रद भी माना जाता है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से सरसों तेल में मिलावट की भी जोर शोर से जांच की जा रही है। इस बीच सलोनी शम्साबाद में सरसों का भाव 9,250 से बढ़ाकर 9,300 रुपये क्विन्टल कर दिया गया।

सूत्रों ने कहा कि देशी तेल पर 'स्टॉक लिमिट' लगाने का कोई औचित्य भी नहीं है क्योंकि गरीब उपभोक्ता सोयाबीन और पामोलीन जैसे सस्ते आयातित तेल अपना चुके हैं और इन तेलों पर भंडार सीमा लागू नहीं है। सरकार को इन आयातित तेलों के भाव की निगरानी रखनी होगी कि ये उपभोक्ताओं को किस दर पर बेचा जा रहा है और उन्हें गिरावट का लाभ मिल रहा है या नहीं।

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