नरक चतुर्दशी पर व्रत करने से नहीं सहनी पड़ेगी यातनाएं

भौम प्रदोष के शुभ योग में मंगलवार को धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व पर लोगों ने सोने-चांदी और बर्तनों की खरीदारी की वहीं बाजारों में भी अच्छी खासी चहल-पहल रही। आज  3 नवंबर दिन बुधवार को छोटी दीपावली नरक चौदस, रूप चौदस को लोग व्रत रखेंगे। व्रत रखने से जीवन एवं उसके बाद आने वाली यातनाओ से लोग बच सकेंगे। साथ ही विशेष प्रकार के उबटन से स्नान करने से आरोग्य की प्राप्ति भी होगी।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार ग्रहों से बचाएंगे वैदिक उबटन रूप चौदस को रूप सौंदर्य ,आयु और आरोग्य की वृद्धि का दिन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि जन्म कुंडली में कोई ग्रह पीड़ा दे रहा है। तो रूप चौदस उसे दूर करने का दिन भी है। साथ ही खराब ग्रह महादशा, अंतर्दशा, चल रही हो। शनि की साढ़ेसाती शनि का ढैया हो तो व्यक्ति परेशानी व चिंता से घिरा रहता है। रूप चतुर्दशी पर वैदिक उबटन से स्नान कर पीड़ित ग्रहों से ही नहीं बल्कि सभी ग्रहों का शुभ प्रभाव व्यक्ति को मिलने लगता है।

ऐसे करें स्नान व पूजन
हर व्यक्ति को इस दिन प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर तेल, बेसन, गुलाब जल, से उबटन करके अच्छी तरह से स्नान करना चाहिए। स्नान करके यमराज को 3 अंजलि जल अर्पित करें। शाम को शुभ मुहूर्त में 14 छोटे दीपक जलाकर चौक सजा कर रोली, खील ,गुड़, धूप ,अबीर, गुलाल, आदि से पूजन करना चाहिएः साथ ही एक बड़ा चौमुखा दीपक घर के द्वार पर और छोटे घर के अंदर रखकर समृद्धि की कामना करना चाहिए।

गोधूलि बेला में होगा दीपदान
श्री सोनी ने बताया कि नरक चौदस के दिन प्रदोष काल गोधूलि बेला में शाम 5:30 से 6:12 तक दीपदान किया जा सकता है।

नरकासुर का किया था बध
भगवान वामन ने पृथ्वी एवं राजा बलि के शरीर को 3 पगों में इसी दिन नाप लिया था ।आज के दिन भगवान श्री कृष्ण की धर्मपत्नी सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस व्रत को करने से नरक की प्राप्ति नहीं होती।

पूर्वजों की स्मृति में जलाए जाएंगे दीप
विभिन्न समाजों के द्वारा लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में दीप प्रज्वलित कर पूर्वजों को याद किया जाएगा। इसके साथ ही काली माता मंदिर बालाजी धाम धर्मार्थ सेवा समिति भी नरक चौदस को भक्तों के पूर्वजों की स्मृति में दीप प्रज्वलित करेगी।

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