हरियाणा की योजना पर मंथन, धान-गेहूं की फसल न बोने पर इंसेंटिव की तैयारी

भोपाल
प्रदेश में धान और गेहूं की फसल के बदले दूसरी कम पानी में उगने वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने पर राज्य सरकर मंथन कर रही है। इस योजना में ज्यादा पानी वाली फसलों की बजाय कम पानी में पककर तैयार होने वाली फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को सरकार इंसेंटिव देने की तैयारी में है। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कृषि विभाग के अफसरों के साथ बैठक करने वाले हैं। हरियाणा में लागू मेरा पानी मेरी विरासत योजना की थीम पर सरकार इस योजना के प्रारूप पर मंथन के बाद इसे लागू कर सकती है।

शिवराज सरकार प्रदेश के उन जिलों के विकासखंडों में खासतौर पर इस योजना को लागू करने पर फोकस कर रही है जहां पानी का संकट गहराने के कारण फसलों और पेयजल पर असर गर्मी में साफ दिखता है। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की रिपोर्ट में एमपी के 24 से अधिक ब्लाक ओवर एक्सप्लायटेड हैं। इसलिए इन विकासखंडों में खासतौर पर धान और गेहूं की फसल के बदले अन्य फसलें उगाने के लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर सकती है। ऐसी स्थिति में किसानों को परंपरागत धान और गेहूं की फसल न लगाने पर इंसेंटिव देने पर भी विचार किया जाएगा। सीएम सचिवालय ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार की योजना पर मंथन को लेकर कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव कृषि, प्रमुख सचिव कृषि और उद्यानिकी समेत अन्य अधिकारियों के साथ बैठक के लिए फैसला किया है।

मुख्यमंत्री की मौजूदगी में होने वाली बैठक में फसल विविधीकरण (क्राप डायवर्सिफिकेशन) पर चर्चा होगी। इसमें मोटे अनाज के उत्पादन और उनकी खपत को बढ़ावा देने के साथ दलहन और तिलहन वाली फसलों के उत्पादन पर आने वाले सालों में अपनाई जाने वाली रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा। कृषि उत्पादों के निर्यात, चंदन और अगर के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ चिनोर किस्म के जीआई टैग को बढ़ावा देने पर भी सरकार फोकस करेगी ताकि किसानों की आमदनी में वृद्धि की जा सके।

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