बिहार: विश्‍वविद्यालयों में खर्चे का लेखा-जोखा होगा, महालेखाकार करेंगे समीक्षा

पटना
बिहार के विश्वविद्यालयों में वित्तीय गड़बड़ियों की कई शिकायतें सामने आने के बाद राज्य सरकार ने परंपरागत विश्वविद्यालयों की नकेल कसनी शुरू कर दी है। इन विश्वविद्यालयों की वित्तीय गतिविधियों की महालेखाकार (एजी) समीक्षा करेंगे। विशेष तौर से यह देखा जाएगा कि राज्य सरकार ने विभिन्न मदों में जो राशि विश्वविद्यालयों को दी, उसका फलाफल क्या आया। टेंडर की सही प्रक्रिया तक की पड़ताल होगी। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सोमवार को महालेखाकार, बिहार को पत्र भेजकर उनसे आग्रह किया है कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों का परफॉर्मेंस ऑडिट शीघ्र कराने की कृपा की जाए। पत्र के साथ एजी को सभी 13 विश्वविद्यालयों के नाम भी भेजे गये हैं। पत्र में विस्तार से विश्वविद्यालयों को दिये जाने वाले मदवार अनुदान का जिक्र किया गया है।

सरकार से मिली राशि के खर्च में वित्तीय नियम का पालन जरूरी
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने महालेखाकार को भेजे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय अंतर्गत स्वीकृत की गई राशि का विश्वविद्यालयों द्वारा नियमित कर्मियों के वेतन भुगतान एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को सेवांत लाभ व पेंशन भुगतान के अतिरिक्त अतिथि शिक्षकों के लिए एवं आउटसोर्सिंग मद में उपयोग होता है। विश्वविद्यालयों, अंगीभूत महाविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए योजना मद से सहायक अनुदान की राशि स्वीकृत की जाती है। महालेखाकार को भेजे पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालयों को सरकार से विभिन्न मदों में मिली राशि को खर्च करने में वित्तीय नियमावली का पालन किया जाना आवश्यक होता है। बिहार राज्य विवि अधिनियम, पटना विवि अधिनियम और आर्यभट्ट ज्ञान विवि अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों के लेखा का अंकेक्षण किए जाने का प्रावधान है। पर गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से विश्वविद्यालयों के आय-व्यय का अंकेक्षण नहीं हुआ है।

 

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