लद्दाख शहर दुनियाभर में खगोलीय अध्ययन के लिए सर्वश्रेष्ठ, वैज्ञानिकों ने शोध के बाद बताई यह वजह

नैनीताल
खगोलीय अध्ययन के लिए लद्दाख क्षेत्र के हान्ले को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ स्थल माना गया है। यहां साल में 270 रातों तक खगोलीय अध्ययन किया जा सकता है। भारत, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खगोलीय वैज्ञानिकों के संयुक्त शोध में निष्कर्ष निकला है कि लद्दाख के हान्ले में वायु गुणवत्ता और वातावरण की शुद्धता सर्वाधिक बेहतर है। विद्युत प्रदूषण तो यहां नाममात्र का है। यहां खगोलीय शोध कार्यों के लिए 87 फीसदी तक अनुकूल परिस्थितियां पाई गई हैं।  नैनीताल स्थित देवस्थल ऑजर्वेटरी भी अध्ययन के लिए अनुकूल है, मानसून के कारण यहां साल में तीन माह खगोलीय अध्ययन बाधित रहता है। शोध का उद्देश्य विश्वभर में खगोलीय अध्ययन को सबसे स्वच्छ वातावरण वाले इलाकों की खोज करना था। शोध में नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रक्षेपण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ.उमेश दुम्का भी शामिल रहे। डॉ.दुम्का ने बताया कि भारतीय तारा भौतिकी शोध संस्थान बेंगलुरु के डॉ.शांति कुमार सिंह निंगोमबाम के नेतृत्व में यह शोध कार्य हुआ। हिमालयी क्षेत्र के वातावरण की शुद्धता के लिए ग्राउंडबेस डाटा के साथ पिछले 20 साल का सेटेलाइट और 80 साल का री-एनालाइसिस डेटा का अध्ययन हुआ।  

मध्य अफ्रीका-यूरेशिया में बादलों के जमघट घटा
साल 1980 से 2020 के दौरान सभी स्थानों पर वातावरण की विविधता का अध्ययन कर शोधकर्ताओं को पता लगा कि अफ्रीका के मध्य क्षेत्र, यूरेशियन महाद्वीप और अमेरिकी महाद्वीप के ऊपर बादलों का जमघट घटा है। समुद्री क्षेत्र तथा सहारा रेगिस्तान, मध्य-पूर्व, भारतीय उपमहाद्वीप, तिब्बती पठार और दक्षिण-पूर्वी एशिया के द्वीपों पर बादलों का जमघट बढ़ रहा है। ऐसा संभवत: जलवायु परिवर्तन और भू-समुद्री क्षेत्र में वाष्प प्रक्रिया में बदलाव के कारण हो रहा है।

पूर्व निदेशक समेत समेत दो अन्य वैज्ञानिक रहे शामिल
शोध में एरीज के पूर्व निदेशक प्रो.रामसागर के अलावा वैज्ञानिक डॉ.बृजेश और डॉ.उमेश दुम्का भी इस संयुक्त शामिल रहे। खगोलीय अध्ययन के लिए स्थान की तलाश में प्रो.रामसागर का हिमालय क्षेत्र का विशेष अनुभव रहा है। जिसके चलते एशिया की सबसे बड़ी ऑप्टिकल दूरबीन देवस्थल में स्थापित की जा सकी। यह शोध मंथली नोटिसेज ऑफ दि रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के यूके जनरल के ताजा अंक में प्रकाशित हो चुका है।

 

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