मिसरोद फेज तीन योजना इंजीनियरों की लापरवाही से हो गई कैंसिल

भोपाल
भोपाल विकास प्राधिकरण में इंजीनियरों की लापरवाही का खामियजा मिसरोद फेज तीन योजना को कैसिंल कर भुगतना पड़ा है। यहां पर कृषि भूमि के अधिग्रहण की मंजूरी नहीं मिलने के बाद भी इंजीनियरों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया और वहां के किसानों से लेकर लोगों को गुमराह करते रहे। सात महीने पहले बीडीए को स्कीम में इस तरह बदलाव करने को कहा गया था कि मास्टर प्लान में प्रस्तावित 60 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण हो सके।  अगर यह पहले ही कर लिया जाता तो इस तरह की स्थिति नहीं आती। बीडीए ने इसके लिए मास्टर प्लान-2031 के अनुसार प्रस्ताव तैयार कर 78.318 हेक्टेयर कृषि भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव भेज दिया है लेकिन उसमें काफी देर हो गई है। अभी यह मास्टर प्लान मंजूरी की प्रक्रिया में है, इसलिए यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ।

नए सिरे से होगी प्लानिंग
बीडीए से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब  मास्टर प्लान के प्रावधानों के अनुसार इस योजना को नए सिरे से बनाया जाएगा। पर इसमें दिक्त यह है कि  योजना तैयार करने के समय से ही मिसरोद के किसान और जमीन मालिक विरोध कर रहे थे। इसकी पीएमओ तक शिकायत की थी।  अब इस मामले में लापरवाही करने वाले इंजीनियर और एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को भी ठंडित किया जाएगा क्योंकि इससे बीडीए की छवि प्रभावित हो रही है।

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