सड़क, बिजली, पानी व चिकित्सा के लिए तरस रहे लोग ग्रामवासी

जांजगीर चाम्पा
स्वतंत्रता के बाद भी जिला मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। जिले की कुल लगभग 657 ग्राम पंचायत है। आजादी के बाद जिले का विकास तो हुआ है लेकिन शहर सहित ग्रामीण अंचल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

जिले के कई क्षेत्र में आज भी आवागमन, बिजली, पेयजल एवं संचार सुविधा सहित अनेक समस्याएं बनी हुई है। खासकर वनांचल क्षेत्रों में विकास नहीं हो पाए है। जांजगीर चाम्पा को जिले का दर्जा मिलने के बाद लोगों में उम्मीद जगी कि अब मूलभूत सुविधाएं मिलने लगेगी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। कई जगहों में प्रोजेक्ट कार्य चल रहे है तो कई जगहों मेंं योजना का क्रियान्वयन सिर्फ फाइलों में ही दबा हुआ  है।  जिले के सभी ग्राम पंचायतो के नागरिकों को अब तक शुद्ध पानी उपलब्ध नही मिल पाया योजना के तहत विभिन्न कार्य किए जाने है।  मिरौनी बांध से पानी सक्ती में लाकर फिल्टर प्लांट एवं ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा। वहां से पानी संपवेल में आएगा। इसके बाद पानी का फिल्टर तथा ट्रीटमेंट कर नगरीय निकाय शहर में पानी टंकी के माध्यम से शहर में पेयजल की पूर्ति की जाएगी। डीआई पाइप लाईन बिछाई जाएगी। पाइप लाईन के माध्यम से सभी घरों में पेयजल की व्यवस्था होगी। लेकिन अब तक योजना का सफल क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। बिजली बंद होने की स्थिति में नागरिक पेयजल समस्या से जूझ रहे है।खराब हैंडपंप की मरम्मत नहीं की जा रही है।

ग्रामीणों की मांगों पर नहीं हो रही कोई सुनवाई
जिले के सभी ग्राम पंचायतों में यही समस्या बनी हुई है।जो  अब तक विकास से कोसों दूर है। ग्राम पंचायतों की उपेक्षा की जा रही है। गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। पेयजल, बिजली, सड़क जैसे मूलभूत सुविधाओं से मोहताज ग्रामीणों द्वारा पंचायत व शासन, प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की जा चुकी है। लेकिन जिम्मेदार सुध लेना नहीं चाह रहे है। इसी का नतीजा है कि विकास कार्य की मांग अब वे किसी से नहीं करना चाह रहे है, क्योंकि उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती। पंचायत प्रशासन द्वारा प्रस्ताव बनाने की बात कहीं जाती है लेकिन यह सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई है। विकास की ओर ध्यान नहीं है।

पंचायती राज व्यवस्था से भी गांवों का पूरा उद्धार नहीं
ग्राम पंचायतों को विकास की उम्मीद है लेकिन उम्मीदें नहीं हो रही पूरी आजादी के बाद। पंचायती राज व्यवस्था से भी ग्रामों को पूरा उद्धार नहीं हो पाया है। आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधा के लिए पंचायत प्रस्ताव व शासन का मुंह ताक रहे है। सभी ग्राम पंचायत की कहानी भी कुछ ऐसी है। जिले के ग्राम पंचायत में तीन साल पहले सरपंच जीतकर आई है। अब विकास के रास्ते तो खुले है लेकिन शासन की उदासीनता से यहां के हालत अंग्रेज हुकूमत के जैसी हो गई है। सरपंचों ने कहा कि आज भी सभी ग्राम पंचायत दंश झेल रहा है आम नागरिक मूलभूत सुविधा की मोहताज है। जिले के अधिकांश गांव से जोड?े वाली रोड 3 साल से संधारण की बाट जोह रहा है।

खराब सड़कों से लाखों लोग परेशान
सड़कों की बदहाली की वजह से जिले के अधिकांश गांव के लाखो ग्रामीण परेशान हो रहे है। गांवों को तहसील व जिला मुख्यालय के मुख्य धारा में जोड?े के लिए करोड़ों की लागत से सड़क तो बना दिए लेकिन संधारण के लिए कुछ पहल नहीं हो पाई। जिले में सड़कों का जाल तो बिछा है लेकिन यह राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

657 ग्राम पंचायतों व नगरीय निकाय क्षेत्रों में समस्या
ग्राम के सभी ब्लाक के गांव सड़क, पानी बिजली शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहें है। एक सर्वे के मुताबिक जिले के अस्तित्व आने के बाद से यह क्षेत्र सबसे पिछड़ा  राजस्व ग्राम है। लेकिन राजस्व ग्राम बनने के बाद भी हालात सुधर नहीं पाए है। यहां ज्ञान का अभाव है। स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। अधिकांश गांव के नागरिक बैगा गुनिया से ग्रामीण इलाज कराते है। सड़क आजादी के बाद भी नहीं बनी। पानी, बिजली की सप्लाई अपर्याप्त है। जिले के नागरिकों की सबसे बड़ी समस्या बिजली है। जो उन्हें पर्याप्त समय तक नहीं मिल पाती।संबंधित विभाग को जानकारी दी जाती है लेकिन एक सप्ताह बाद  सुधारने के लिए कर्मचारी पहुंचते है।

गांवों में स्कूल खुले पर्याप्त शिक्षकों की कमी
जिले के अधिकांश स्कूलों में आज पर्यंत तक विषयवार शिक्षकों की कमी है जिसके कारण छात्रो का अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। जैजैपुर ब्लाक के ग्राम देवरघटा में हायर सेकेंडरी स्कूल खुला ही नही है और वहां सत्र 2016 में करोड़ो की लागत से स्कूल भवन बनवा दिया गया है जो खण्डर भी हो गया है। अधिकांश गांवों में मिडिल स्कूल प्रायमरी स्कूल के भवन जर्जर हो गए है ।

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