हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में नफरती भाषण के खिलाफ राष्ट्रपति और पीएम को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली
उत्तराखंड के हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में विवादित भाषणों की शिकायत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गई है। तीन पूर्व सेना प्रमुखों समेत 100 ज्यादा अन्य लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर मामले का संज्ञान लेने की अपील की है। चिट्ठी पर दस्तखत करने वालों में पूर्व सैन्य अधिकारी, नौकरशाह और कई जानी-मानी शख्सियतें शामिल हैं। उनका कहना है कि धर्म संसद में 'मुसलमानों के नरसंहार का खुला आह्वान' किया गया है जो देश की शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

अंदर से कमजोर होगा देश, बाहरी दुश्मनों को मिलेगा मौका
चिट्ठी में देश की अशांत सीमाओं के हवाले से कहा गया है कि इस तरह के आह्वान से देश के नागरिकों के बीच नफरत की भावना पनपेगी जिससे बाहरी ताकतों को मजबूती मिलेगी। पत्र में कहा गया है, 'देश के अंदर शांति और सद्भाव को किसी तरह से नुकसान पहुंचने से बाहरी दुश्मनों को ताकत मिलेगी। अगर हमारे विविधतापूर्ण समाज में किसी एक या दूसरे समुदाय के खिलाफ हिंसा खुले आह्वान की इजाजत दी गई तो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और पुलिस बलों समेत वर्दी पहने सभी पुरुष और स्त्रियों के बीच एकता और सामंजस्य को झटका लगेगा।'

मुसलमानों के नरसंहार की अपील बेहद घातक
हरिद्वार धर्म संसद का जिक्र करते हुए चिट्ठी लिखने वालों ने कहा, 'धर्म संसद के नाम से आयोजित तीन दिवसीय धार्मिक सम्मेलन में दिए गए भाषणों ने हमें गंभीर रूप से व्यग्र कर दिया है। वहां हिंदू राष्ट्र के निर्माण का बार-बार आह्वान किया गया और हिंदू धर्म की रक्षा के नाम पर जरूरत पड़ने पर हथियार उठाकर भारत के मुसलमानों की हत्या करने की अपील की गई।'

कार्रवाई नहीं हुई तो राष्ट्र कमजोर होगा
चिट्ठी में दिल्ली धर्म संसद का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली में भारी संख्या में लोग जुटे और सार्वजनिक तौर पर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, 'दूसरी जगहों पर भी इस तरह की राष्ट्रविरोधी बैठकें की जा रही हैं।' इसमें आगे कहा गया है, 'हम इस तरह हिंसा के लिए उकसावे की अनुमति नहीं दे सकते। न केवल आंतरिक सुरक्षा को धक्का पहुंचाता है बल्कि हमारे राष्ट्र के तानेबाने को भी कमजोर करता है। एक वक्ता ने आर्मी और पुलिस से हथियार उठाकर सफाई अभियान में जुड़ने की अपील की। इसका मतलब आर्मी से अपने देश के नागरिकों का नरसंहार करने की अपील करना है जो निंदनीय और अस्वीकार्य है।'

चीफ जस्टिस से भी अपील
उधर, सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन को चिट्ठी लिखी और मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है। वकीलों ने घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि अगर नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई नहीं होती है तो सुप्रीम कोर्ट तुरंत मामले का संज्ञान ले। ध्यान रहे कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित धर्म संसद में महात्मा गांधी के लिए अभद्र भाषा का उपयोग करने के आरोप में कालीचरण महाराज गिरफ्तार हो चुके हैं।

किस-किसने, किनसे की अपील
पत्र की प्रतियां सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण, राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ-साथ विभिन्न दलों के प्रमुखों को भी भेजी गई है। साथ ही, यह पत्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों को दिया गया है। चिट्ठी पर दस्तखत करने वालों में नौसेना के पूर्व प्रमुखों- एल. रामदास, विष्णु भागवत, अरुण प्रकाश, आरके धवन और पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी शामिल हैं।

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