छतरपुर तहसील में 2900 नामांतरण मामलों का हुआ निराकरण

छतरपुर
 इन दिनों छतरपुर तहसील के अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा अभियान चलाकर महीनों से लंबित पड़े राजस्व सम्बंधी कामकाज को निपटाया जा रहा है। तहसील के हर कक्ष में व्यस्तता देखी जा रही है और इसकी बड़ी वजह है कलेक्टर की फटकार। तहसील में लंबित पड़े 4700 नामांतरण के मामलों में से 2900 का निराकरण किया गया है।

दरअसल पिछले लगभग एक साल से कोरोना के कारण छतरपुर तहसील में नामांतरण जैसे काम नही हो पा रहे थे। तहसील में ऐसे कामों का ढेर लग चुका है जिससे जनता बहुत परेशान थी। छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर ने पिछले दिनों इस मामले को लेकर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी और अभियान चलाकर जनता के काम समय पर निपटाने के निर्देश दिए थे। अब कलेक्टर की फटकार का असर दिखने लगा है।

तहसीलदार अशोक अवस्थी ने बताया कि पिछले एक माह में ही लंबित पड़े 4700 नामांतरण मामलों में से 2900 प्रकरणों का निराकरण करा दिया गया है। अभियान के तहत छतरपुर तहसील के 3000 में से 2000, बृजपुरा सर्किल में 700 में से 300 और सौरा सर्किल में नायब तहसीलदार अंजू लोधी द्वारा प्राकृतिक आपदा के 54 में से 54 प्रकरण निराकृत किए गए हैं।

अचनार उचित मूल्य दुकानदार को नोटिस
जिले में अनियमिताएं करने वाले उचित मूल्य दुकानदारों के खिलाफ कार्यवाही के अभियान में एसडीएम राजनगर द्वारा खजुराहो के वार्ड क्रमांक 6, 11, 12 एवं 13 के शासकीय उचित मूल्य दुकानदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। एसडीएम राजनगर ने बताया कि शासकीय उचित मूल्य दुकानदार विक्रेता भानु प्रकाश चौबे से तय समय में समक्ष में उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। विक्रेता के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज हुई है। एसडीएम द्वारा उचित मूल्य विक्रेता, सहायक विक्रेता तथा उपभोक्ताओं की उपस्थिति में वार्ड क्रमांक 13 अचनार में जांच की गई।

उनके द्वारा निर्धारित मात्रा से कम सामग्री प्रदान करना, तय मूल्य से अधिक राशि लेना, पात्रता अनुसार सभी उपभोक्ताओं में से केवल कुछ ही उपभोक्ताओं को अन्न योजना के तहत सामग्री वितरित करने सहित, राशन दुकान के स्टॉक खाद्यान्न सामग्री का भण्डारण कम पाये जाने जैसी गंभीर अनियमिताएं पायी गई। जिसके चलते उन्हें मप्र सार्वजनिक प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 की कंडिका 11 एवं 13 तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की कंडिका 3-7 के तहत दोषी माना जाकर स्पष्टीकरण पत्र जारी किया गया। जवाब नहीं देने की स्थिति में नियमानुसार कार्यवाही होगी।

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