कृषि विवि प्रक्षेत्र में एडी कोवरियन्स फ्लक्स टॉवर एवं मृदा नमी सेंसर स्थापित

रायपुर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रक्षेत्र में फसलों के आस-पास के वातावरण का तापमान एवं आर्द्रता और मिट्टी की नमी मापने के लिए एडी कोवरियन्स फ्लक्स टॉवर और मृदा नमी सेंसर की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर इसका उद्घाटन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.एस. सेंगर द्वारा किया गया। यह उपकरण नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एन आर एस सी), इसरो, भारत सरकार अंतरिक्ष विभाग द्वारा राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना वित्त पोषित के तहत स्थापित किया गया है। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए दस विभिन्न स्थानों पर इन उपकरणों को स्थापित किया गया है जिसमें से छत्तीसगढ़ कृषि जलवायु के प्रतिनिधित्व हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के बीच अनुबंध कर विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रक्षेत्र में स्थापित किया गया है। एडी फ्लक्स टॉवर इस क्षेत्र में मौजूद कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले वाष्पीकरणीय प्रवाह और कार्बन-डाइ-आॅक्साइड प्रवाह को समझने में मदद करेगा। एडी फ्लक्स टॉवर माप से प्राप्त वास्तविक वाष्पीकरण का उपयोग उपग्रह से प्राप्त अनुमानों को मान्य करने के लिए किया जाएगा।

इस उपकरण के माधयम से पौधों एवं उसके आसपास के वातावरण में कार्बन, पानी और गर्मी के प्रवाह का पता चलता है। यह उपकरण अलग-अलग समय के पैमाने (घंटे, दिन, मौसम और वर्ष) पर वायु द्रव्यमान और ऊर्जा प्रवाह के सूक्ष्म उतार-चढ़ाव को भी मापता है। उपकरण में लगे सेंसर्स हर पांच मिनट के अंतराल में मिट्टी के तापमान, मिट्टी के ताप प्रवाह, मिट्टी की नमी, वर्षा, सापेक्षिक आर्द्रता, वायु तापमान और सौर विकिरण आदि जैसे पचास से अधिक मापदंडों को माप सकते हैं। इसके साथ ही इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय, रायपुर के आम के बगान में स्थापित मिट्टी की नमी को नापने हेतु 6 अलग-अलग गहराई पर, 15 सेमी के अंतराल पर जमीनी स्तर से 1 मीटर की गहराई में सेंसर भी स्थापित किये गए हैं। परियोजना के अन्वेषक डॉ एम पी त्रिपाठी (मुख्य वैज्ञानिक), डॉ धीरज खलखो (वरिष्ठ वैज्ञानिक) एवं इंजी. श्रुति वर्मा (जेआरएफ) मृदा और जल इंजीनियरिंग विभाग, ने वर्तमान जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के तहत उपकरणों के महत्व और कार्यप्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। इसके अत्तिरिकित अखिल भारतीय समन्वित सिंचाई जल प्रबंधन अनुसन्धान परियोजना अंतर्गत मृदा और जल इंजीनियरिंग विभाग, स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय रायपुर द्वारा प्रदर्शित बोरवेल के माध्यम से भूजल रिचार्जिंग संरचना का भी माननीय कुलपति द्वारा अवलोकन किया गया।

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