शासकीय शिक्षक ने पेश की अनूठी मिसाल, स्कूल की मरम्मत में लगा दी सैलरी

भोपाल
आज जब शिक्षा व्यापार बनता जा रहा है तो ऐसे में एक शासकीय शिक्षक ने अनूठी मिसाल पेश की है। स्कूल के जर्जर होने से बच्चों की संख्या क्या घटी तो उसने अपनी पूरी सैलरी स्कूल की मरम्मत में लगा दी ताकि बच्चे पढ़ने स्कूल आएं। यह मामला है राजगढ़ जिले के छापरीकलां गांव का। जहां प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हिम्मत सिंह ने मीणा ने स्कूल में बच्चों के लिए सारी सुविधाएं जुटाने के लिए अपनी सैलरी कुर्बान कर दी।    

दरअसल, हिम्मत सिंह दो साल पहले श्योरपुर से स्थानान्तरित हो राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ अनुभाग अंतर्गत छापरीकलां प्राथमिक विद्यालय में आए थे। तब स्कूल बहुत खराब स्थिति में था। भवन का प्लास्टर एवं फर्श जगह-जगह से उखड रहा था। बच्चों के बैठने के लिए दरी-टाट पट्टी भी नहीं थी। असुविधाओं के चलते छात्रों की संख्या महज 10 हो गई थी।

ऐसे में सिंह ने अपने विद्यालय का कायाकल्प करने की ठानी। इसके बाद सिंह ने अपने वेतन से लगभग 80 हजार रुपए लगा कर स्कूल भवन की मरम्मत कराई, फर्श सुधराया, रंग-रोगन और वाल-पेंटिग तो कराई ही साथ ही वे अपने छात्रों की सुविधाएं जुटाने में भी पीछे नहीं रहे। वे अपने छात्रों के बैठने के लिए दरी, कापी और पेन-पेंन्सिलें भी लाना नहीं भूलें। नतीजन जहां पहले कभी 10 बच्चे पढ़ने आते थे आज वही संख्या बढ़कर 35 हो गई है।

गांव वालों ने बढ़ाया हाथ
सिंह की हिम्मत को देखकर स्कूल के अन्य शिक्षक व गांव वाले भी मदद के लिए आगे आने लगे। ग्रामीणों ने भी आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जिससे कुर्सी-टेबलों की व्यवस्था की गई। स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ाने ग्राम में जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हिम्मत अपने बच्चे को भी इसी शासकीय स्कूल में पढाते हैं। 

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