माघ में सूर्य को प्रसन्न करके पाएं पद, प्रतिष्ठा और सम्मान

नई दिल्ली
वैदिक शास्त्रों में सूर्य को पंच देवताओं में सर्वाधिक उच्च स्थान प्राप्त है। वहीं ज्योतिष ग्रंथों में सूर्य को पद, प्रतिष्ठा, सम्मान, उच्च आजीविका के साधन और आरोग्यता प्रदान करने वाला ग्रह कहा गया है। माघ मास में सूर्य पूजा का विशेष महत्व होता है और इन्हें प्रसन्न करने के लिए एक विशेष दिन होता है जिसे रथ आरोग्य सप्तमी के नाम से जाना जाता है और ये पावन दिन आज है।
 

क्या है महत्व

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ आरोग्य सप्तमी मनाई जाती है। यह ब्रह्मांड में ऊर्जा के एकमात्र स्रोत भगवान सूर्य के जन्म का दिन होता है। इसी दिन से भगवान सूर्य अपने साथ घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर विचरण प्रारंभ करते हैं। सूर्य विचरण के साथ ही संसार को आरोग्यता प्रदान करते हैं।

 
कैसे करें व्रत-पूजन

सप्तमी के दिन व्रती सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करे। तांबे के कलश से सूर्यदेव के 12 नाम लेते हुए लाल पुष्प डालकर जल का अ‌र्घ्य दें। यदि 12 नाम याद न हों तो ऊं सूर्याय नम: या ऊं घृणि: सूर्याय नम: मंत्र का जाप 12 बार करें। जल की गिरती धारा के मध्य से सूर्यदेव को देखने का प्रयास करें। इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर सुंदर रंगोली सजाएं। पूजा स्थान में सूर्यदेव का सात घोड़ों वाले रथ पर सवार चित्र दीवार पर चिपकाकर पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य सहित पूजन करें। आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें। सूर्यदेव से आयु, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा की कामना करें। दिनभर व्रत रखें। सूर्यास्त के बाद बगैर नमक वाला भोजन करें।

क्यों करें व्रत

    जिन लोगों की जन्मकुंडली में सूर्य नीच राशि का हो, कमजोर हो।
    गले में तांबे का सूर्य पेंडेंट पहनने से सूर्य से जुड़े दोष दूर होते हैं।
    नेत्र रोगी, मस्तिष्क रोगियों, त्वचा रोगियों को यह व्रत रखकर इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
    रथ सप्तमी व्रत करने से पुराने और जीर्ण रोगों से मुक्ति मिलती है।
    नि:संतान दंपती या जिनकी संतान हमेशा बीमार रहती है, वे दंपती यह व्रत करें।
    पद-प्रतिष्ठा, सम्मान और नौकरी में उच्च पद प्राप्त करने के लिए।
    इस व्रत को करने से भाग्य प्रबल होता है। आध्यात्मिक उन्नति होती है।
    प्रशासनिक सेवा, सरकारी क्षेत्रों से जुड़े लोगों को यह व्रत करना चाहिए।
    जन्म कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष होने पर यह व्रत करें।

 

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