स्वाईल हेल्थ कार्ड से सिरोही के कुलविन्दर की फसलें हुई पुष्ट

ग्वालियर

ग्वालियर जिले के डबरा विकासखण्ड के ग्राम सिरोही के कुलविन्दर सिंह की गिनती इलाके के सफल किसानों में की जाती है। वे खेती-किसानी के काम से ही अच्छी-खासी आमदनी ले रहे हैं। यह संभव हुआ है उन्हें कदम-दर-कदम मिली उचित सलाह और प्रशिक्षण से।

यही कुलविन्दर सिरोही गाँव की अपनी 1.900 हेक्टेयर भूमि पर खेती में अभी कुछ समय पहले तक लगातार घाटा उठा रहे थे। मिट्टी की जाँच किए बिना यूरिया और डी.ए.पी. का उपयोग करने से उनकी कृषि भूमि तो खराब हो ही रही थी साथ ही लगातार लागत बढ़ने और उत्पादन कम होने से उनकी आय भी कम हो रही थी। बिजली पर निर्भरता के कारण भी वे अपेक्षा के अनुरूप खेती-किसानी नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में चाह कर भी वे साग-सब्जी का उत्पादन करने में खुद को असहाय महसूस करते थे।

मिट्टी की जाँच की जानकारी मिलने पर उन्होंने अपने खेतों की मिट्टी के नमूने की जाँच करवाई। जाँच के बाद उन्हें स्वाईल हेल्थ कार्ड दिया गया। इस कार्ड के मुताबिक उन्होंने कम मात्रा में उर्वरकों का उपयोग शुरू किया। बीजों के उपचार के बाद ही बोनी की और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में प्राप्त स्प्रिंकलर से सिंचाई की। नतीजा यह हुआ कि जहाँ पहले उनके खेतों में 20 से 25 मन प्रति बीघा गेहूँ पैदा होता था, वो बढ़कर 30 से 35 मन प्रति बीघा हो गया। साथ ही पानी की बचत भी होने लगी।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर गोबर गैस संयंत्र लगाने से उन्हें कम्पोस्ट खाद मिलने लगी। सोलर पम्प लगाने से सिंचाई करना सुविधाजनक हो गया तथा बिजली पर आश्रित रहने से भी मुक्ति मिली। आमदनी भी लगभग दोगुनी होकर 4 लाख रुपये हो गई। वे अब अपने खेतों में साग-सब्जी भी उगाने लगे हैं जिससे उन्हें 80 हजार से 1 लाख रुपये तक की अलहदा आय भी हो रही है। बीज ग्राम योजना में मिले गेहूँ के 40 किलो अच्छे बीज उन्होंने अपने खेतों में बोये हैं। फसल की वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी है।

कुलविन्दर को कृषि यंत्रों के बेहतर उपयोग के लिए 25 हजार रुपये का जिला-स्तरीय प्रथम पुरस्कार भी मिला है। अब उनकी गणना अंचल के बड़े किसानों में होने लगी है।

 

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