एलओसी पर पाकिस्तानी ड्रोन को मिलेगा करारा जवाब, भारत बना रहा घातक ‘हथियार’

 नई दिल्ली।

पाकिस्तान से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन गतिविधियों से सुरक्षा चुनौती बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान ड्रोन के जरिए लगातार जासूसी का प्रयास कर रहा है। साथ ही सीमा पार से मादक पदार्थ और अवैध तरीके से हथियार व पैसा भेजने की कोशिशें भी जारी हैं। ऐसे में संसद की एक समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय जल्द से जल्द ड्रोन रोधी तकनीक का एक केंद्रीय पूल बनाए। साथ ही सभी राज्यों को ड्रोन के अवैध उपयोग के खतरे से निपटने के लिए इस तकनीक की पहुंच भी प्रदान की जाए।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ड्रोन के खतरों से निपटने की दिशा में काम कर रही है। माना जा रहा है कि अगले छह महीने में भारत ड्रोन की चुनौती से निपटने की तकनीक से लैस हो जाएगा। कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां ड्रोन प्रौद्योगिकियों का विकास करने में जुटी हैं। डीआरडीओ भी एंटी ड्रोन तकनीक विकासित कर रहा है। वहीं, संसदीय समिति ने कहा है कि ड्रोन हमले के मामले में उठाए जाने वाले कदमों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया बनाकर इसको लेकर संबंधित मंत्रालय, एजेंसियों और राज्यों के बीच समन्वय होना चाहिए।

सनद रहे कि हाल के दिनों में सीमा पार से ड्रोन की आवाजाही में काफी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान सीमा के पास पिछले दो वर्षों में 133 से अधिक बार ड्रोन देखे गए हैं। ड्रोन द्वारा हथियारों व गोला-बारूद की पहली डिलीवरी की घटना अगस्त, 2019 में सामने आई थी। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस साल एक जनवरी से 15 जनवरी तक बीएसएफ ने पाकिस्तान सीमा पर 42 ड्रोन देखे, जिनमें से 16 पंजाब सीमा पर और 21 जम्मू में नजर आए थे। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सीमा पर ड्रोन देखे जाने का सिलसिला जारी है, लेकिन अभी देश में कोई प्रभावी ड्रोन रोधी तकनीक उपलब्ध नहीं है।

पाकिस्तान को चीन की मदद से मिल रहे ड्रोन
जानकारों का कहना है कि ड्रोन की चुनौती को सुरक्षा एजेंसियों ने बहुत गंभीरता से लिया है। पाकिस्तान को चीन की मदद से अत्याधुनिक ड्रोन मिल रहे हैं। इसके अलावा पड़ोसी मुल्क को तुर्की से भी ड्रोन तकनीक मिलने की आशंका खुफिया एजेंसियों ने जताई है। इसके खतरों से सुरक्षा एजेंसियां लगातार आगाह कर रही हैं।

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