झारखंड की राजधानी रांची में भी होती है पुरी जैसी भव्य रथयात्रा

 नई दिल्ली
 

जगन्नाथपुरी जैसा भगवान जगन्नाथ का एक और मंदिर है। झारखंड की राजधानी रांची में। इसका निर्माण नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने करीब 331 साल पूर्व 1691 में करवाया था। राजा शाहदेव उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ के बहुत बड़े भक्त थे, इसीलिए उन्होंने अपने राज में मंदिर की स्थापना की थी।इस मंदिर का वास्तुशिल्प पुरी के जगन्नाथ मंदिर से मिलता-जुलता है। मंदिर की ऊंचाई पुरी के जगन्नाथ मंदिरसे कम है। शाहदेव ने मंदिर की स्थापना के साथ ही मानवीय मूल्यों की भी स्थापना का प्रयास किया था। समाज को जोड़ने के उद्देश्य से हर वर्ग के लोगों को मंदिर की जिम्मेदारी दी। उन्होंने आसपास रहने वाले सभी जाति, धर्म के लोगों को मंदिर से जोड़ा था। 330 साल पहले से ही यहां हर जाति और धर्म के लोग मिल-जुलकर भगवान जगन्नाथ की मंदिर व्यवस्था को संभालते हैं।

झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर में जो जगन्नाथ जी का मंदिर है, उसकी खास बात यह है कि पुरी की तरह यहां भी भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। मुख्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित एक पहाड़ी पर एक और छोटा मंदिर है, जिसे मौसीबाड़ी के नाम से जाना जाता हैं। रथयात्रा के अवसर पर मुख्य मंदिर से लेकर मौसीबाड़ी तक रथ यात्रा निकाली जाती है और सात दिनों तक मेला लगता है। इसमें भारी संख्या में आदिवासी एवं गैर-आदिवासी भक्त शामिल होते हैं। रांची केअलबर्ट एक्का चौक से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर प्रकृति की गोद में अध्यात्म का महत्वपूर्ण केंद्र है।

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ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने मंदिर के रखरखाव के लिए तीन गांव जगन्नाथपुर, आमी और भुसु की जमीन मंदिर को दान में दी थी। हाल के दिनों तक मंदिर का प्रबंधन राजपरिवार के द्वारा ही होता था। 1979 में मंदिर ट्रस्ट बनाया गया। इसका प्रबंधन ट्रस्ट के अधीन कर दिया गया।  

 

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