भारत-चीन बॉर्डर : डिसइंगेजमेंट भले हो गया है, लेकिन अभी भी बहुत से मसले सुलझाने बाकी

 
नई दिल्ली

भारत और चीन न सिर्फ पूर्वी लद्दाख के ‘गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स’ इलाके से पीछे हटने पर सहमत हुए हैं बल्कि पूर्ण शांति बहाली के लिए दोनों ओर बने अस्थायी और बाकी ढांचों को ध्वस्त करने पर भी सहमत हुए हैं। इससे 2020 से जारी तनाव कम होने की उम्मीद बंधी है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीछे हटने की प्रक्रिया 8 सितंबर को सुबह साढ़े 8 बजे शुरू हुई और यह 12 सितंबर तक पूरी हो जाएगी।

क्यों अहम है मुद्दा
ईस्टर्न लद्दाख में दो साल पहले जब तनाव शुरू हुआ तो चीनी सैनिक चार जगहों पर आगे आ गए थे जिसके बाद भारतीय सेना ने भी अपनी तैनाती बढ़ाई और चीनी और भारतीय सैनिक एकदम आमने सामने डटे हुए थे। इससे दोनों देशों में संघर्ष की आशंका बनी रहती थी। सेनाओं को कड़ाके की सर्दी में भी वीरान बर्फीले रेगिस्तान में डटे रहना पड़ता था। हालात पहले जैसे हुए तो दोनों पक्षों के लिए राहत की बात होगी।

किन इलाकों से हटे सैनिक?
भारत-चीन के कोर कमांडरों की बातचीत के बाद अब उन सभी चार जगहों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हो गए हैं, जहां पर दो साल के दौरान आमने-सामने थे। सबसे पहले पैंगोंग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान में पीपी-14 पर सैनिक पीछे हटे। फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे और अब गोगरा-हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से सैनिक हटे हैं।भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स से 12 सितंबर तक पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

कहां गए सैनिक?
इन चारों जगहों पर जहां दोनों देशों के सैनिक आमने सामने थे, वह अब कुछ किलोमीटर पीछे चले गए हैं। इसे डिसइंगेजमेंट कहा जाता है यानी वह अब ऐसी स्थिति में नहीं है कि तुरंत झड़प की नौबत आ जाए। दोनों देशों के सैनिक अपने-अपने इलाके में पीछे की तरफ गए हैं।

अभी क्या है स्थिति?
जिन जगहों पर डिसइंगेजमेंट हुआ है, वहां पर अभी नो-पेट्रोलिंग जोन बन गए हैं। यानी जब तक दोनों देश मिलकर कुछ रास्ता नहीं निकाल लेते, तब तक इन चारों जगहों पर 1 किलोमीटर से लेकर 3 किलोमीटर तक का एरिया नो-पेट्रोलिंग जोन है यानी यहां कोई गश्त नहीं करेगा।

आगे किन मुद्दों पर बात?
अभी सिर्फ डिसइंगेजमेंट हुआ है। यानी सैनिक आमने-सामने से हटे हैं। अब जो बात होगी वह डी-एस्केलेशन को लेकर होगी, जिसका मतलब है कि दोनों देशों के सैनिक और सैन्य साजोसामान जो इस तरह तैनात किया गया है कि जरूरत पड़ने पर कभी भी एक दूसरे पर हमला हो सकता है, उसे सामान्य स्थिति में लाना। अभी भी सैनिक और हथियार दोनों एक दूसरे की रेंज में हैं। इसके बाद होगा डी-इंडक्शन। इसका मतलब है कि जो भारी तादाद में सैनिक और सैन्य साजो सामान सीमायी इलाके में तैनात है, उसे वापस अपनी पुरानी पोजिशन में भेजना।

अभी वहां दोनों तरफ से 50-50 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। जब डी-इंडक्शन हो जाएगा, उसके बाद ही कहा जा सकता है कि एलएसी पर अप्रैल-मई 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हुई।

कहां बचा है विवाद?
चार पॉइंट पर गतिरोध दूर होने के बाद अभी भी दो पॉइंट ऐसे रह गए हैं जहां विवाद है। ये हैं डेपसांग प्लेन्स और डेमचॉक। जब गलवान में खूनी झड़प हुई थी, तब चीन ने इन दो जगहों पर भी सैनिकों की संख्या बढ़ाकर माहौल गरमाने की कोशिश की थी। इसके जवाब में भारत ने भी सैनिकों की संख्या बढ़ाई। डेमचॉक में चीनी सैनिकों ने पांच टेंट भी लगा लिए थे जिसमें से तीन टेंट अब भी वहीं हैं। ये चारदिंग निलुंग नाले (सीएनएन) के पास हैं। हर कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में भारत की तरफ से यहां पर भी पहले की तरह स्थिति बहाल करने को कहा जाता रहा है।

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