मुकुल रोहतगी फिर बनेंगे भारत के अटॉर्नी जनरल, एक अक्टूबर से संभालेंगे कार्यकाल

नई दिल्ली
 वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को फिर से अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया जा सकता है। माना जा रहा है कि वह 1 अक्टूबर से देश के शीर्ष कानून अधिकारी (अटॉर्नी जनरल) के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू कर सकते हैं। 67 वर्षीय मुकुल रोहतगी ने जून 2017 में अटॉर्नी जनरल का पद छोड़ दिया था। उसके बाद से यह पद केके वेणुगोपाल संभाल रहे हैं। वेणुगोपाल का विस्तारित कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। उन्होंने पांच साल तक केंद्र सरकार के शीर्ष कानून अधिकारी के रूप में काम किया। मामले के जानकारों का कहना है कि रोहतगी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुरोध के बाद पिछले हफ्ते शीर्ष पद संभालने के लिए अपनी सहमति दी थी।

आपको बता दें कि रोहतगी 2014 और 2017 के बीच भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के लिए अटॉर्नी जनरल थे। लेकिन 2017 में उन्होंने यह पद छोड़ दिया था। जिसके बाद वेणुगोपाल को अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था। वहीं, हाल ही में एक सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने संकेत दिया कि वह अपने वर्तमान कार्यकाल के पूरा होने के बाद शीर्ष कानून अधिकारी के रूप में जारी नहीं रह सकते हैं। इस वजह से सरकार फिर मुकुल रोहतगी को इस पर नियुक्ति कर रही है। कहा यह भी जाता है कि मुकुल रोहतगी के हटने के बाद भी केंद्र सरकार ने उनसे जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने के लिए सलाह लिया था।

इन बड़े मामलों को देख चुके हैं मुकुल रोहतगी
मुकुल रोहतगी को भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल वकीलों में एक माना जाता है। रोहतगी ने भारत सरकार की तरफ से कई महत्वपूर्ण केस लड़े हैं। इनमें गुजरात दंगा मामला भी शामिल है, जिसमें उन्होंने गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से जुड़े मामले में भी दलील दी। हाल ही में रोहतगी ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की रक्षा टीम का नेतृत्व किया, जिसे ड्रग-ऑन-क्रूज़ मामले में गिरफ्तार किया गया था।

आखिर क्यों नियुक्त किए जाते हैं अटॉर्नी जनरल
अटॉर्नी जनरल, भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। इसके अलावा अटॉर्नी जनरल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का मुख्य वकील होता है। अटॉर्नी जनरल को संविधान की धारा 76 (1) के तहत नियुक्ति किया जाएगा। हालांकि, नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होती है। अटॉर्नी जनरल को देश का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी भी कहा जाता है।
 

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