ग्रामीण महिलाएँ लिख रही हैं विकास की नई इबारत

भोपाल 

मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ विकास की नई इबारत लिख रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर न केवल वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं अपितु एक नया आत्मविश्वास उनके अंदर आया है। परिवार और समाज में उनका सम्मान बढ़ रहा है। वे प्रदेश और देश में विकास की संवाहक बन रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी 17 सितंबर को श्योपुर जिले के कराहल में महिला स्व-सहायता समूहों के उन्मुखीकरण सह-सम्मेलन में शामिल होने प्रदेश आ रहे हैं, जिसमें वे समूह की महिलाओं से संवाद कर प्रोत्साहित करेंगे।

मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा वर्ष 2012 से ग्रामीण गरीब परिवार की महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिये स्व-सहायता समूह बना कर उनके संस्थागत विकास तथा आजीविका के संवहनीय अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मिशन द्वारा प्रदेश में अब तक 45 हजार ग्रामों में लगभग 3 लाख 87 हजार स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है। मिशन का उद्देश्य ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं को स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित कर सहयोगात्मक मार्गदर्शन करना तथा समूह सदस्यों के परिवारों को रूचि अनुसार उपयोगी स्व-रोजगार एवं कौशल आधारित आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है, जिससे मजबूत बुनियादी संस्थाओं के माध्यम से लक्षित परिवारों की आजीविका को स्थायी आधार पर बेहतर बनाया जा सके।

आजीविका मिशन में गठित समूहों से जुड़ी बहनों के लिये सरकार ने भरपूर धन राशि का इंतजाम भी किया है। प्रदेश में लगभग 43 लाख 47 हजार परिवार की महिलाओं को स्व-सहायता समूहों से जोड़ा जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत निर्धन परिवारों के इन समूहों को मिशन द्वारा चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि आपदा कोष तथा बैंक लिंकेज के रूप में वित्तीय सहयोग किया जा रहा है। इस राशि से उनकी छोटी-बड़ी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है, जिससे वे आत्म-निर्भरता की बढ़ते हुए साहूकारों के कर्जजाल से भी मुक्त हो रहे हैं।

मिशन द्वारा दिये जा रहे लगातार प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय सहयोग एवं सहयोगात्मक मार्गदर्शन से लाखों परिवारों की निर्धनता दूर हो गई है। लगातार दिये जा रहे प्रशिक्षण का ही परिणाम है कि समूह सदस्यों के अन्दर गरीबी से उबरने की दृढ़ इच्छा शक्ति उत्पन्न हुई है। परिणामस्वरूप वे आगे बढ़ कर पात्रता अनुसार अपने हक, अधिकार न केवल समझने लगे हैं बल्कि प्राप्त भी करने लगे हैं। मिशन के प्रयासों से ग्रामीण निर्धन परिवारों के जीवन में अनेकों सकारात्मक परिवर्तन आ रहे हैं। इनमें सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण प्रमुख रूप से देखा जा सकता है।

मिशन के प्रयासों का परिणाम है कि समूहों से जुड़ कर बहनों में अभूतपूर्व बदलाव हो रहा है। जो बहनें कुछ समय पहले तक पंचायतों में अपने काम कराने सरपंचों से कहने का साहस नहीं जुटा पाती थी आज प्रदेश में लगभग 2 हजार पंचायतों में सरपंच बन कर ग्राम पंचायत का नेतृत्व संभाल रही हैं। ग्राम पंचायत के साथ जनपद और जिला पंचायतों में भी सर्वे-सर्वा हो गई हैं।

मिशन में गठित स्व-सहायता समूहों से जुड़े परिवारों में से 16 लाख 79 हजार से अधिक परिवार कृषि एवं पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से जुड़े हैं, जबकि लगभग 6 लाख 19 हजार से अधिक परिवार गैर कृषि आधारित लघु, उद्यम आजीविका गतिविधियों से जुड़कर काम कर रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका गतिविधियों को और सुदृढ़ करने के लिये पिछले वर्ष लगभग 1500 करोड़ रूपये का ऋण बैंकों के माध्यम से बहनों को प्राप्त हुआ है। इस वर्ष यह लक्ष्य पिछले वर्ष का दोगुना लगभग 3000 करोड़ रूपये कर दिया गया है। इस राशि से ग्रामीण निर्धन तबके के परिवारों की आजीविका गतिविधियों को शुरू करने तथा सुदृढ़ करने के अवसर कई गुना बढ़ गये हैं। यह राशि जैसे-जैसे समूहों में पहुँचती जायेगी, निर्धन परिवारों के जीवन में बड़े सकारात्मक परिवर्तन आयेंगे, उनकी आर्थिक सामाजिक स्थिति में तेजी से सुधार दिखाई देंगे। इस राशि पर ब्याज अनुदान भी सरकार द्वारा दिया जा रहा है, जिससे ऋण वापसी और भी सरल हो गई है।

मिशन के प्रयासों के परिणाम हमारे सामने हैं, जो महिलाएँ कुछ वर्षों पहले मुश्किल से तीन-चार हजार रूपये प्रतिमाह आय अर्जित कर रही थी, आज ऐसी लाखों महिलाएँ हैं जो सम्मानपूर्वक प्रतिमाह 10 हजार रूपये से अधिक की आय अर्जित करने लगी हैं। समूहों में जुड़ कर न सिर्फ उन्होंने अपनी आय के संसाधनों में वृद्धि की है, अपितु परिवार और समाज में उनका सम्मान बढ़ा है। उनके नेतृत्व में प्रदेश एवं देश का विकास हो रहा है। ग्रामीण मध्यप्रदेश देश के आर्थिक रूप से सशक्त एवं आत्म-निर्भर राज्यों की श्रेणी में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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