NEET एग्जाम में कम नंबर लाने वाले छात्रों को भारतीय मेडिकल में दाखिला नहीं दे सकते

  नई दिल्‍ली

यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों का मामला न्‍यायालय में विचाराधीन है. कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए केंद्र ने कहा है कि भारतीय विश्वविद्यालयों में मेडिकल छात्रों को नहीं रखा जा सकता है. छात्र अपने यूक्रेन के कॉलेजों से अप्रूवल लेने के बाद अन्य देशों में ट्रांस्‍फर लेने का विकल्प चुन सकते हैं.

सरकार ने कहा, खराब नीट स्कोर या सस्‍ती कॉलेज फीस के चलते छात्रों ने यूक्रेन में मेडिकल कॉलेजों को चुना है. अगर कम नीट स्कोर वाले छात्रों को समायोजित किया जाएगा तो पहले से पढ़ रहे स्‍टूडेंट्स आपत्ति कर सकते हैं. कम नीट स्‍कोर वाले यूक्रेन से लौटे स्‍टूडेंट्स को भारतीय कॉलेजों में एडमिशन देना देश की मेडिकल शिक्षा के मानक को प्रभावित करेगा.

कोर्ट में दायर किया हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में केंद्र ने कहा, "यह बाद विनम्रतापूर्वक ध्‍यान में लाना चाहते हैं कि यदि इन छात्रों को (A) खराब मेरिट के बावजूद देश के सबसे प्रतिष्ठिक कॉलेजों में दाखिला दिया गया तो यह उन स्‍टूडेंट्स के साथ अन्‍याय होगा जो कुछ कम नीट स्‍कोर के चलते इन कॉलेजों में एडमिशन नहीं पा सके थे और उन्‍हें कम प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिला लेना पड़ा है. (B) प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला दिया जाता है तो ऐसे कॉलेजों की फीस यूक्रेन की यूनिवर्सिटीज़ की फीस से कहीं अधिक होगी जिसे छात्र वहन करने में सक्षम नहीं होंगे.''

हलफनामे में केंद्र ने कहा, "कॉमन NEET परीक्षा 2018 से आयोजित की जा रही है और केवल 50 प्रतिशत से अधिक स्‍कोर हासिल करने वाले उम्मीदवार ही भारतीय चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश लेने के पात्र हैं." केंद्र का कहना है कि छात्र 'नीट परीक्षा में खराब स्‍कोर' या सस्‍ती फीस में पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में गए थे.

बता दें कि युद्ध प्रभावित यूक्रेन से लौटे मेडिकल स्‍टूडेंट्स को भारतीय यूनिवर्सिटी में एडमिशन देने की मांग पर कोर्ट में सुनवाई जारी है. सरकार इन छात्रों को दूसरे देशों से पढ़ाई पूरी करने की इजाजत देने के पक्ष में है मगर भारतीय कॉलेजों में एडमिशन देने में असहमति जता रही है. सुप्रीम कोर्ट जल्‍द इस मामले में कोई फैसला लेगा.

 

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