डॉलर मजबूत होकर पूरी दुनिया को दे रहा है दर्द, अगले साल भीषण आर्थिक मंदी, कैसे बचेगा भारत?

नई  दिल्ली
काहिरा में रहने की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ गई है, कि सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने वाले मुस्तफा जमाल को पैसे बचाने के लिए अपनी पत्नी और एक साल की बेटी को मिस्र की राजधानी काहिरा से करीब 112 किलोमीटर दूर अपने गांव भेजना पड़ा। वहीं, 28 साल के गमाल को दो अलग अलग काम करने पड़ते हैं, तब जाकर वो अपनी जरूरतों को पूरा कर पाते हैं। उनका कहना है, कि'हर चीज के दाम दोगुने हो गए हैं और कोई विकल्प नहीं बचा था।" ये कहानी सिर्फ काहिरा की ही नहीं है, लंदन, पेरिस, नैरोबी, इंस्ताबुल के लोग भी सुरक्षा गार्ड जमाल के दर्द को समझ रहे हैं। केन्या के एक ऑटो पार्ट्स डीलर और तुर्की में बच्चों के कपड़े बेचने वाले एक दुकानदार और यूनाइटेड किंगडम के मैनचेस्टर में शराब आयातक, सभी की एक ही शिकायत है और वो शिकायत ये है, कि अमेरिकी डॉलर में हो रही लगातार मजबूती से स्थानीय मुद्रा लगातार कमजोर हो रहा है, जिसकी वजह से कीमतें आसमान को छू रही हैं और रोजमर्रा के सामान खरीदने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है।
 
पूरी दुनिया पर समान संकट
पूरी दुनिया के लिए ये एक वित्तीय संकट का समय है, जब यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने लोगों के सामने खाद्य और ऊर्जा संकट की गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉर्नेल विश्वविद्यालय में व्यापार नीति के प्रोफेसर ईश्वर प्रसाद कहते हैं, "एक मजबूत डॉलर दुनिया के बाकी हिस्सों में खराब स्थिति को और खराब कर देता है।" वहीं, कई अर्थशास्त्रियों को चिंता है कि डॉलर की तेज वृद्धि से अगले साल किसी समय वैश्विक मंदी की संभावना बढ़ रही है। बेंचमार्क आईसीई यूएस डॉलर इंडेक्स के अनुसार, डॉलर इस साल 18 प्रतिशत ऊपर जा चुका है और पिछले महीने 20 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है।

 

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