नरेंद्र मोदी के PM बनने के बाद गुजरात में घटी BJP की सीटें, अब हर क्षेत्र में झोंकी ताकत

गांधीनगर
 
गुजरात में अपने विरोध में कोई बड़ी विपक्षी ताकत ना होने के बावजूद भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र, हर बूथ को लेकर सजग है। उसने प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेताओं तक को दायित्व सौंप रखा है। भाजपा ना तो कांग्रेस को हल्के में ले रही है और ना ही राज्य में दस्तक दे रही आम आदमी पार्टी को।

दरअसल, गुजरात में नरेंद्र मोदी के सीएम बनने व उसके बाद प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में जितने भी चुनाव हुए हैं, भाजपा की सीटें कम होती रही हैं। पिछले चुनाव में तो वह बहुमत से महज सात सीटें ही ज्यादा जीत पाई थी। ऐसे में पार्टी पिछले 27 साल की अपनी सरकार के खिलाफ किसी तरह के सत्ता विरोधी माहौल को सामने नहीं आने देना चाहती है। इस दौरान पूरी एक नई पीढ़ी आ गई है। पार्टी उसको भी साथ जोड़कर आगे बढ़ना चाहती है। मतदाताओं को उपलब्धियों और भविष्य वादों के जरिए साथ बनाए रखने की कोशिश में है। यही वजह है कि भाजपा राज्य में विभिन्न आयामों को लेकर जनता के बीच आ रही है। चाहे वह खेती हो, उद्योग हो, रक्षा हो, खेल हो या राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानक जिस वर्ग के लिए जो संदेश दे सकता है वह उसको सामने रख आगे बढ़ रही है।

लगातार दौरे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं। गुजरात में बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की प्रमुख नेताओं की टीमें भी जुटी हुई है। कुछ नेता तो पिछले दो महीने से राज्य के दौरे कर रहे थे। अब अधिकांश नेता दीपावली के बाद चुनाव तक पूरे समय राज्य में चुनावी रणनीति में जुटे रहेंगे।

मतदाताओं के हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि पार्टी सभी चुनाव को पूरी गंभीरता से लड़ती है। चाहे वह सत्ता में हो या विपक्ष में। वह मतदाताओं की हर वर्ग तक पहुंचने की पूरी कोशिश करती है। गुजरात में भी उसी रणनीति पर आगे बढ़ा जा रहा है। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जो नतीजे रहे हैं उनको वह नजरअंदाज नहीं कर सकती है। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2002 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सीटें कम हो रही हैं।

 

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