जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने का हवाला देकर सायबर अपराधी मांग रहे पेंशनर्स की डिटेल

भोपाल
प्रदेश के चार लाख से अधिक पेंशनर्स सायबर अपराधियों के निशाने पर हैं। इसे देखते हुए वित्त विभाग के अफसरों ने पेंशनर्स को सतर्क रहने और फर्जी कॉल से सावधान रहने की एडवाइजरी जारी की है। खासतौर पर पेंशनधारकों को जीवन प्रमाण-पत्र को आॅनलाइन अपडेट करने के संबंध में की जाने वाली फर्जी कॉल से बचाव की सलाह दी गई है। इसके लिए शासन के संज्ञान में यह बात लाई गई है कि पेंशन निदेशालय का हवाला देकर जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने के लिए ओटीपी मांगने के कुछ मामले सामने आ चुके हैं। इसलिए पेंशनर्स को सतर्क रहना होगा।

वित्त विभाग के अफसरों ने जिला पेंशन अधिकारियों के माध्यम से यह जानकारी पेंशनर्स तक पहुंचाने के लिए कहा है। इसमें कहा गया है कि सायबर अपराधी के पास पेंशनधारक का पूरा डाटा, नियुक्ति दिनांक, पीपीओ नम्बर, आधार नम्बर, सेवानिवृत्ति तिथि जैसी सभी जानकारी उपलब्ध होने के कारण पेंशनधारकों को आॅनलाइन अपडेशन के संबंध में भरोसा दिया जाता है। वर्तमान में सायबर अपराधियों द्वारा पेंशन निदेशालय का हवाला देकर पेंशनरों को पूरा डाटा बताकर जीवन प्रमाण-पत्र अपडेट करने के लिए ओटीपी साझा करने की बात प्रकाश में आई है। पेंशनर द्वारा गलती से ओटीपी साझा करने पर अपराधी को बैंक खाते का डायरेक्ट एक्सेस कन्ट्रोल मिल जाता है और पेंशनर के खाते की राशि फर्जी खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है।

इसलिए पेंशनर्स से कहा गया है कि पेंशनरों को जागरुक रह कर हमेशा सावधानी बरतने की जरूरत है। पेंशन निदेशालय द्वारा कभी भी किसी पेंशनर का जीवन प्रमाण-पत्र आॅनलाइन अपडेट करने के लिए कॉल नहीं किया जाता है और न ही आॅनलाइन जीवन प्रमाण-पत्र अपडेट किया जाता है।

सरकार की अनदेखी से फिर नाराज हैं पेंशनर्स
उधर राज्य सरकार की अनदेखी से प्रदेश के पेंशनर्स में फिर नाराजगी है। अब तक पेंशनर्स को सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते के मुताबिक भत्ता नहीं दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले के नाम पर इसे पेंडिंग रखा जाता है वहीं दूसरी ओर ताजा मामला दिवाली के पहले वेतन देने का सामने आ गया है। सरकार ने प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों को दिवाली के पहले अक्टूबर माह का वेतन देने का आदेश जारी कर दिया और वेतन मिल भी गया लेकिन पेंशनर्स की अनदेखी कर दी गई। पेंशनर्स को सात दिन पहले वेतन देने का फैसला सरकार नहीं कर सकी है। इसलिए पेंशनर्स सरकार से फिर नाराज हो गए हैं।

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