डीडब्ल्यू की फारसी सेवा को ईरान ने प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाला

तेहरान

ईरान ने डीडब्ल्यू की फारसी सेवा को भी प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया. ताजा प्रतिबंधों की सूची में जर्मनी की दो कंपनियां और जर्मन अखबार बिल्ड के दो संपादकों के नाम भी शामिल हैं.

डीडब्ल्यू जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय प्रसारण सेवा है. इसकी फारसी सेवा जर्मनी के बॉन शहर से काम करती है. ईरान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर प्रतिबंधों का एलान किया और सूची में शामिल संगठनों पर "आतंकवाद का समर्थन" करने का आरोप लगाया है. जिन लोगों पर प्रतिबंध लगा है वो ईरान की यात्रा नहीं कर सकेंगे और ईरान में उनकी अगर कोई संपत्ति हुई, तो वह जब्त कर ली जाएगी.

ईरान प्रदर्शनकारियों को अकसर "आतंकवादी" कहता है. इसी साल 16 सितंबर को22 साल की कुर्दिश महिला महसा अमीनीकी हिरासत में मौत के बाद से देश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला चल रहा है. दुनिया के कई और देशों में भी लोगों ने प्रदर्शन कर हिजाब जलाया है और महिलाओं ने अपनी चोटियां काटी है. महसा अमीनी को हिजाब नहीं पहनने के कारण हिरासत में लिया गया था.

यह अस्वीकार्य हैः डीडब्ल्यू

डीडब्ल्यू के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग का कहना है कि प्रतिबंधों से संस्था के ईरान में कवरेज पर कोई असर नहीं पड़ेगा, "यह सच्चाई है कि ऐसी सूची में हमारा नाम आने से ईरान में हमारे यूजरों को भरोसेमंद सूचना देने से हमें रोका नहीं जा सकेगा."

लिम्बुर्ग ने यह भी कहा, "ईरान का शासन हमारे फारसी संपादकों और उनके परिवारों को कुछ समय से धमकियां दे रहा है. यह स्वीकार्य नहीं है. शासन देश के भीतर और बाहर आतंकवाद को बढ़ावा देता है. मैं उम्मीद करता हूं कि जर्मनी और यूरोप के राजनेता इस शासन पर दबाव बढ़ाएंगे."

यूरोप की दूसरी जिन संस्थाओं पर ईरान में प्रतिबंध लगा है उनमें रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल की फारसी सेवा और इंटरनेशनल कमेटी इन सर्च ऑफ जस्टिस और ईरान में लोकतंत्र का समर्थन करने वाले यूरोपीय संघ के सांसदों का एक अनौपचारिक समूह शामिल है.

ईरान ने यह कदम यूरोपीय संघ की तरफ से ईरानी मंत्री, अधिकारियों और सरकारी एजेंसियों पर प्रतिबंधों की घोषणा के बाद उठाया है. यूरोपीय संघ ने "मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन करने वालों" के खिलाफ 17 अक्टूबर को प्रतिबंधों की घोषणा की थी.

ईरान में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सरकार की कार्रवाई के बाद जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा था कि तेहरान के साथ, "सामान्य रूप से कामकाज" नहीं चल सकता.

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