उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुई छठ पूजा

भोपाल
 केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके…करिहा क्षमा छठी मईया..भूल-चूक गलती हमार…हमनी से बरत तोहार हमनी से बरत तोहार…सुनिहा अरज छठी मईया…ऐसे अन्य लोकगीत छठ महापर्व पर सुनने को मिले। शहर की शीतलदास की बगिया, खटलापुरा, मां सरस्वती मंदिर भेल बरखेड़ा, पांच नंबर तालाब सहित शहर की 50 से अधिक विसर्जन घाटों व कुंडों पर छठ महापर्व के लोकगीत छठ व्रतधारियों ने गाए। गन्नों को के मंडप बनाकर सूपा में पूजन सामग्री, फल, ठेकुआ समेत अन्य खाद्य सामग्री रखकर छठ मैया की पूजा-अर्चना की। डूबते हुए सूर्य को शाम 5:40 बजे अघ्र्य दिया। संतान की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने कामना की। कोरोना के कारण दो वर्ष बाद छठ महापर्व मनाने का भोजपुरी समाज के लोगों में दोगुना उत्साह व उल्लास देखने को मिला। सोमवार को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देकर चार दिवसीय छठमहापर्व का समापन किया।

शीतलदास की बगिया : शीतलदास की बगिया में छठमहापर्व मनाया गया। भोजपुरी एकता मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम में महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा तथा गन्ना, नारियल, सिंघाड़ा, मौसमी फल अर्पित कर छठ माता की पूजा अर्चना कर सूर्य भगवान को अर्घ्यदिया। इस दौरान मुख्यअतिथि के रूप में हरियाणा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने दीप प्रज्वलित करके छठ महापर्व की शुरुआत की। सोलंकी ने कहा कि छठ महापर्व भोजपुरी समाज के लोगों के अलावा अन्य समाज के लोगों को भी जोड़ने का काम कर रहा है। उत्तर प्रदेश झारखंड बिहार के अलावा अब मप्र में रहने वाले भोजपुरी समाज के लोग भोपाल सहित अलग-अलग जिलों में छठवां पर मनाते हैं। दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार रखें। स्वच्छता पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करें। समाज के लोगों ने छठ पर्व के मौके पर स्वच्छता अभियान में भागीदारी निभाने का भी संकल्प लिया। इसके बाद दीपदान किया गया। शीतलदास की बागिया में श्रद्धालुओं ने 2100 दीपों से दीपदान किया। इससे तलाब रोशनी से जगमगा गया। रंगारंग अतिशबाजी भी हुई।

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