हार के करीब आके जीते बाइडेन ने कहा लोकतंत्र के लिए अच्छा रहा

वाशिंगटन

अमेरिका के मध्यावधि चुनाव के नतीजे डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए उतने बुरे नहीं रहे जितने की आशंका थी. पार्टी हाउस ऑफ रिप्रजेंटिव में भले ही पिछड़ गई है लेकिन कुल मिलाकर उसे निराशा नहीं मिली है.

अमेरिका में मध्यावधि चुनावों के नतीजे आने शुरू होने के बाद से अपने पहले भाषण में वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि सब कुछ "लोकतंत्र के लिए अच्छा रहा.”

बाइडेन ने कहा, "हाल के सालों में हमारे लोकतंत्र की परीक्षा हुई है. लेकिन अपने मतदान के साथ अमेरिकी लोगों ने फैसला सुना दिया है और एक बार फिर साबित किया है कि हमारी पहचान लोकतंत्र है. हालांकि मीडिया और पंडित एक विशाल लाल लहर की भविष्यवाणी कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.”

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अधिकतर नतीजे आने के बाद स्पष्ट है कि बाइडेन की डेमोक्रैटिक पार्टी ने मंगलवार के चुनावों में भारी पराजय की आशंका को टाल दिया है. हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि 2024 के बाद भी उनके लिए उम्मीदें बची हुई हैं.
फिर मैदान में बाइडेन?

79 साल के जो बाइडेन ने इस बार के मध्यावधि चुनाव को लोकतंत्र के रक्षकों और डॉनल्ड ट्रंप के "चरमपंथी" धड़े के बीच की लड़ाई कहा था.  रात बाइडेन को एक के बाद एक डेमोक्रैट उम्मीदवारों के सीनेट, हाउस और गवर्नर पदों पर जीत की खबरें फोन पर मिलती रहीं और उनका उत्साह बढ़ता रहा. नतीजे आने के बाद बाइडेन ने ट्वीट किया, "आज रात के कुछ विजेताओं से फोन पर बातचीत हुई- उनमें कुछ वो भी हैं जिन्हें इस साल मैंने सड़कों पर देखा था."

इस बार के मध्यावधि चुनावों के नतीजे हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में हार के बावजूद डेमोक्रैट पार्टी की आदर्श परंपरा से कुछ अलग हैं. राष्ट्रपति की पार्टी मध्यावधि चुनावों में इससे बड़ी हार देखती रही है. राष्ट्रपति की अप्रूवल रेटिंग 40 के आसपास रहने, अत्यधिक महंगाई को लेकर चिंता के बीच रिपब्लिकन पार्टी ने संसद के दोनों सदनों पर कब्जे का ख्वाब सजाया था जो लगता नहीं कि पूरा हो सकेगा. इन नतीजों ने यह सवाल उठा दिया है कि इसी महीने 80 साल के होने जा रहे अमेरिका के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति क्या एक और कार्यकाल के लिए मैदान में उतरेंगे.

बाइडेन ने हालांकि ऐसा संकेत दिया है और कहा है कि वह अपने परिवार से इस बारे में सलाह मश्विरा करेंगे. जो बाइडेन इस मामले में अपने पूर्ववर्ती डेमोक्रैट राष्ट्रपतियों बराक ओबामा और बिल क्लिंटन से काफी अच्छी हालत में हैं. इन दोनों ने  मध्यावधि चुनाव के काफी खराब नतीजों का सामना किया था. हालांकि फिर भी हाउस हाथ से निकल जाने के बाद बाइडेन के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी.

ऐसे देश में जहां विभाजन बहुत ज्यादा है लंबे समय के सीनेटर और बाइडेन जैसे उदार डेमोक्रैट को भी रिपब्लिकन नेतृत्व वाले सदन को अपने साथ लाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी. उनके एजेंडे का एक बड़ा हिस्सा ऐसी स्थिति में अधूरा ही रह जायेगा.

मुश्किलें बहुत हैं

एक सवाल यह भी है कि क्या रिपब्लिकन नेतृत्व राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराने के अपने वादे पर टिका रहेगा क्योंकि भले ही बहुमत मामूली हो लेकिन उसे ऐसा करने का अधिकार तो मिल ही जायेगा. इसका नतीजा बाइडेन को निशाना बनाने वाले अंतहीन संसदीय जांचों के रूप में सामने आ सकती है.

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव पर नियंत्रण के साथ रिपब्लिकन सांसद राष्ट्रपति पर संघीय बजट में कटौती के लिए दबाव बनायेंगे. जहां तक सीनेट का सवाल है तो उसके पास बड़ी ताकत तो है लेकिन उसका पलड़ा अब भी लगभग बराबरी पर झूल रहा है. इसके बाद भी बाइडेन और उनकी डेमोक्रैटिक पार्टी के सामने बड़ा सवाल यही है कि 2024 में पार्टी का झंडा कौन उठायेगा.

अब तक राष्ट्रपति यही कहते रहे हैं कि वह दूसरे कार्यकाल के लिए दावा ठोकेंगे और इससे अलग कोई भी सुझाव से तत्काल उनका असर और अधिकार कम होगा. हालांकि अमेरिका की जनता और उनकी अपनी पार्टी में भी किसी अस्सी साल के कमांडर को फिर से व्हाइट हाउस की रेस में खड़ा करने की बहुत इच्छा नहीं दिख रही है.

दिग्गज डेमोक्रैट 2024 के लिए अपने इरादों के बारे में अमेरिका को कयास लगाने के लिए छोड़ सकते हैं लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी समय से पहले ही अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटे हैं. अगले मंगलवार को फ्लोरिडा में डॉनल्ड ट्रंप इसका ऐलान भी कर सकते हैं.

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