क्या लांग कोविड से डरना जरूरी नहीं? विदेश में हुई स्टडी में ऐसा किया गया दावा

 नई दिल्ली 

क्या लांग कोविड या पोस्ट कोविड से लोगों को डरने की जरूरत नहीं है? इस बारे में हाल ही में हुए विभिन्न शोधों में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। लंदन में हुए इन शोधों का जिक्र करते हुए वॉल स्ट्रीट जनरल ने एक अपने कॉलम में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसके मुताबिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने लांग कोविड को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। इस कॉलम को लिखा है जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर डॉक्टर मार्टी मकारी ने।

ऐसे हुई स्टडी
डॉक्टर मार्टी के मुताबिक किसी भी बीमारी में इंसान ठीक से खा-पी नहीं पाता है। इसके चलते थकान और कमजोरी होना आम बात है। उनके मुताबिक लेकिन इसको लांग कोविड कहना ठीक नहीं होगा। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जॉर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई है। इसमें फेफड़ों के इंफेक्शन से पीड़ित 1000 वयस्कों पर शोध किया गया है। स्टडी के मुताबिक कोरोना से संक्रमित इन लोगों में 39.6 फीसदी लोग तीन महीने तक खराब लक्षणों से जूझते रहे। वहीं, कोरोना निगेटिव पाए गए लोगों में यह अनुपात कहीं ज्यादा 53.5 फीसदी का था। 

अन्य रिपोर्ट में दावा
इन एक हजार लोगों में 722 लोगों को कोविड-19 था, जबकि 278 अन्य फेफड़े संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। इनमें 41 फीसदी लोग 18 से 34 आयुवर्ग के थे और 66 फीसदी महिलाएं थीं। इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कोविड-19 निगेटिव लोगों की तुलना में कोविड-19 पॉजिटिव हुए लोगों में सुधार की रफ्तार बेहतर थी। कुछ ऐसा ही दावा लैंसेंट में प्रकाशित रिपोर्ट में भी किया गया है। इस स्टडी में 11 से 17 साल की उम्र के 5086 बच्चों को शामिल किया गया था। स्टडी में शामिल लोगों में 2909 कोरोना पॉजिटिव और 2177 कोरोना निगेटिव थे। इसमें से किसी को भी हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ी थी। स्टडी के मुताबिक पॉजिटिव पाए गए लोगों की प्रतिकूल लक्षणों की व्यापकता में 12 महीनों में गिरावट आई है।  
 

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