मकर संक्रांति के मौके पर दही चूड़ा खाने की विशेष परंपरा

मकर संक्रांति का पर्व 14 और 15 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाएगा। इस दिन लोग स्नान, तिल-गुड़ दान करने, पतंग उड़ाने जैसी कई सारी चीजें करते हैं। साथ ही इस दिन दही चूड़ा जरूर खाया जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में दही चूड़ा खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है और दही चूड़ा कैसे बनाया जाता है? तो चलिए संक्रांति से पहले हम आपको बताते हैं दही चूड़ा बनाने की रेसिपी और इसके फायदे…

मकर संक्रांति पर क्यों खाया जाता है दही चूड़ा
आपने देखा होगा कि अधिकतर भारतीय त्योहारों पर हम पका हुआ भोजन जैसे- पूरी, सब्जी कचौड़ी आदि बनाते हैं। लेकिन मकर संक्रांति का एक ऐसा त्योहार है जिसमें हम हल्का भोजन करते हैं। दही चूड़ा एक लाइट और पौष्टिक भोजन होता है, इसलिए संक्रांति के मौके पर इसे जरूर खाया जाता है। धार्मिक रूप से इसे खाना बहुत शुभ माना जाता है। इससे सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी समय धान की कटाई होती और नए चावल निकलते हैं। ताजा धान से खिचड़ी और पोहा बनाया जाता है और पहले सूर्य देव को भोग लगा कर इसके बाद दही चूड़ा और खिचड़ी सभी लोगों को बांटी जाती है और खाई जाती है।

दही-चूड़ा खाने के फायदे
– स्वास्थ्य के हिसाब से भी दही चूड़ा खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है और इसमें फाइबर की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है। वहीं, दही हमारे शरीर को ठंडक देता है और पाचन को ठीक रखता है।

– जब आप सुबह के समय दही चूड़ा खाते हैं तो आपको दिन भर काम करने की एनर्जी मिलती है और थकावट महसूस नहीं होती है।

– जो लोग वेट लॉस करना चाहते हैं उनके लिए दही चूड़ा एक परफेक्ट भोजन है, क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वजन को कम करने में मदद करता है।

कैसे बनाएं दही चूड़ा
सामग्री
1 कप दही
¾ कप पोहा
3 बड़े चम्मच गुड़
थोड़े से ड्राई फ्रूट्स और मेवे सजाने के लिए

विधि
– दही-चूड़ा बनाने के लिए सबसे पहले पोहा को पानी से धोकर पूरी तरह से छान लें। इसे कुछ मिनट के लिए या नरम होने तक अलग रख दें।

– अब एक मिक्सिंग बाउल में दही और गुड़ डालकर अच्छी तरह मिला लें।

– भीगे हुए पोहे को दही के मिश्रण में डालें और अच्छी तरह मिलाएं।

– दही चूड़ा को कटे हुए ड्राई फ्रूट्स और मेवों जैसे- काजू, बादाम, पिस्ता और अखरोट से सजाकर परोसें।

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