डूब रही हमारी नैया, अब तो तय करो कौन था खेवैया? पाकिस्तानी मीडिया में शहबाज शरीफ के 2 वित्त मंत्रियों पर संग्राम 

 नई दिल्ली 
 कंगाली की राह पर रोज चार कदम बढ़ा रहे पाकिस्तान में अब ये मांग उठने लगी है कि सरकार यह तय करे कि किसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति ऐसी नाजुक मोड़ पर पहुंची है। आर्थिक मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बीच, वरिष्ठ विश्लेषकों ने कहा कि सरकार को कुछ ही महीनों में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में अप्रत्याशित कमी के लिए जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है अन्यथा "आर्थिक सुधार" संभव नहीं होगा।

इधर, केंद्रीय बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। 20 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 9 साल के सबसे निचले स्तर 3.678 अरब डॉलर पर आ गया। इसके अलावा पाकिस्तानी करंसी लगातार गोता लगा रहा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को अंतरबैंक बाजार में रुपया और गिर गया और दो दशकों में सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट के साथ यह एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 262.6 रुपये तक लुढ़क गया।

अमेरिकी डॉलर में पिछले तीन दिनों के भीतर तेजी से वृद्धि हुई है। शहबाज शरीफ सरकार में मौजूदा वित्त मंत्री इशाक डार, जिन्हें पीएमएल-एन का आर्थिक जादूगर कहा जाता है, के पद ग्रहण करने के बाद से पाकिस्तानी मुद्रा ने रिकॉर्ड गोता लगाया है। उनसे पहले मिफ्ताह इस्माइल देश के वित्त मंत्री थे, जिन्होंने सितंबर 2022 में अपने पद से तब इस्तीफा दे दिया था, जब वह नकदी संकट से जूझ रहे देश के लिए बहुप्रतीक्षित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का बेलआउट पैकेज दिला पाने में नाकाम रहे थे। 

IMF  ने पाकिस्तान को 2019 में 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का ऐलान किया था। पिछले साल बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए उसमें एक अरब डॉलर का और इजाफा कर दिया गया था लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने नवंबर में पाकिस्तान को आर्थिक सुधारों में विफल रहने पर यह रकम देने से इनकार कर दिया। अब पाकिस्तानी मीडिया में इस बात की चर्चा और मांग हो रही है कि पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली के लिए जिम्मेदार लोगों की भूमिका तय की जाए। 

पाकिस्तानी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के संपादक (प्रिंट और डिजिटल) नवीद हुसैन ने गुरुवार को एक्सप्रेसन्यूज टॉक-शो ‘एक्सपर्ट’ में बात करते हुए कहा, “कुछ ही महीनों में हमारे विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के लिए कौन जिम्मेदार है? सरकार को अब ये जिम्मेदारी तय करनी होगी।” हुसैन ने उस समय का जिक्र करते हुए कहा कि जब पीडीएम गठबंधन ने अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से इमरान खान को सरकार से बाहर किया और खुद सरकार संभाली थी, तब विदेशी मुद्रा भंडार 11 अरब डॉलर थे लेकिन तेजी से इसमें गिरावट आई। उन्होंने विदेशी मुद्रा भंडार की इस त्वरित कमी को पीडीएम सरकार की अनिर्णयता के साथ-साथ आईएमएफ कार्यक्रम के पुनरुद्धार के लिए दोषी ठहराया, जो पीटीआई की सरकार के आखिरी दिनों से रुका हुआ था। हुसैन ने कहा, “अप्रैल 2022 में जब शहबाज शरीफ सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब देश के खजाने में लगभग 11 अरब डॉलर थे, लेकिन अगस्त तक यह भंडार गिरकर 7.8 अरब डॉलर रह गया।”

हुसैन ने कहा, "जब मिफ्ताह इस्माइल ने वित्त मंत्री का पद छोड़ा था, तब एसबीपी रिजर्व 7.8 अरब डॉलर था, लेकिन गुरुवार तक यह घटकर 3.5 अरब डॉलर रह गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आर्थिक पतन की बात शुरू हो गई। तीन महीने के भीतर हमारे महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 45% की कमी के लिए कौन जिम्मेदार है?"

रोजनामा ​​एक्सप्रेस के समूह संपादक अयाज खान ने कहा कि पूर्व मंत्री मिफ्ताह इस्माइल मौजूदा वित्त मंत्री इशाक डार की तुलना में "हजार गुना बेहतर" वित्त मंत्री थे लेकिन वह स्वीकार्य नहीं हुए क्योंकि वह "शरीफ परिवार से " से संबंधित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन के भीतर गुटबाजी देश में मौजूदा आर्थिक बदहाली के लिए जिम्मेदार है। खान ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के लिए अमेरिकी डॉलर को "अनपेग" करने की वित्त मंत्री डार की अनिच्छा को भी जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट के लिए "डार पेग" को दोष दिया। खान ने कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि डार के पास  गुप्त "जादू की छड़ी" है, जिसका उपयोग वह अतीत की तरह कर सकते हैं, जैसा उन्होंने देश को आर्थिक दलदल से निकालने के लिए किया था। तब भी वह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए समान रूप से जिम्मेदार थे।

एक्सप्रेस न्यूज़ के इस्लामाबाद ब्यूरो चीफ,आमिर इलियास राणा  ने कहा कि मौजूदा समय में आम आदमी राहत की उम्मीद नहीं कर सकता क्योंकि "विशेष लोग" हमेशा सरकार के करीब रहे हैं, चाहे सत्ता किसी की भी हो। उन्होंने विशेष रूप से पूर्ववर्ती मंत्री मिफ्ताह इस्माइल की आलोचना करने के लिए मौजूदा वित्त मंत्री इशाक डार की आलोचना की।
 

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