ग्राम पंचायत बमीठा के द्वारा कराया जा रहा है अवैध उत्खनन सरपंच सचिव की है मिलीभगत

बमीठा सचिव मौके पर खड़े होकर के करवा रहे हैं श्मशान घाट का अवैध उत्खनन

बमीठा सचिव से जब पूछा गया कि उत्खनन यहां क्यों कराया जा रहा है तो उनके द्वारा बोला गया  की कौन सा हम मोरम को बेच रहे हैं

 छतरपुर
 
छतरपुर जिले के राजनगर विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बमीठा का मामला सामने आया है जिसमें सरपंच और सचिव की मिलीभगत से श्मशान घाट की भूमि पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है  श्मशान घाट की भूमि को समतलीकरण ना करते हुए वहां पर गड्ढे खोदे जा रहे हैं और उस मिट्टी को ले जाकर पंचायत के अन्य कार्यों में  प्रयोग किया जा रहा है एवं दर्जन भर ट्रैक्टर मैं मोरम को जेसीबी के द्वारा लोड करके परिवहन करते हुए उसका प्रयोग पंचायत के अन्य कार्यों में किया जा रहा है श्मशान घाट में पहले से ही बहुत सारे गड्ढे हैं उनको भरने का कार्य पंचायत में होना चाहिए लेकिन उनको ना भरकर और गड्ढा किया जा रहा है

जिससे बड़ी से बड़ी घटना घट सकती है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है यह सब जानते हुए भी पंचायत के द्वारा की जा रही उत्खनन लापरवाही चर्चा का विषय बना हुआ है जब मीडिया के संज्ञान में मामला आया अधिकारियों से पूछने पर अधिकारियों के द्वारा गैर जिम्मेदार जवाब देते हुए पंचायत का पक्ष रखा गया इससे साफ जाहिर होता है कि किस तरह से भ्रष्टाचार लापरवाही अधिकारियों के संरक्षण में किया जा रहा है जिससे अन्य माफिया भी बेखौफ है इसी तरह से अन्य माफियाओं के द्वारा इसी तर्ज पर उत्खनन करके यह  धंधा दिन और दिन पनप रहा है

जबकि खनिज के अवैध खनन के खिलाफ अधिकार होने के बावजूद ग्राम पंचायतें कार्रवाई नहीं करती हैं। कई बार तो खुद पंचायत के प्रतिनिधि अवैध उत्खनन व परिवहन के गोरखधंधे में भागीदार होते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण बमीठा पंचायत में देखा जा सकता है खनिज की रायल्टी पाने वाली पंचायतें कार्रवाई के लिए खनिज विभाग की ओर मुंह ताकती है, लेकिन विभागीय अमला कम होने की वजह से जांच व कार्रवाई में देर हो जाती हैजिले के राजनगर बमीठा चंद्रनगर से सटे इलाकों में खनिजों के अवैध उत्खनन की हमेशा शिकायतें मिलती रहती हैं। निर्माण कार्यों के लिए रेत, मुरुम और पत्थर के अवैध उत्खनन व परिवहन की शिकायतें मिलती हैं। कलेक्टर, कमिश्नर के अलावा खनिज विभाग के अधिकारियों को भी शिकायती पत्र मिलते हैं।

हालांकि ज्यादातर शिकायतों के पीछे राजनीतिक वजह होती है और यही कारण है कि अधिकारी ज्यादा रुचि नहीं लेतें। यदि किसी ने आज शिकायत की तो जरूरी नहीं कि अगले एक माह में उसके गांव में खनिज विभाग की टीम जांच के लिए जाएगी, यह भी हो सकता है कि वह दूसरे माह जाए। तब तक तो परिस्थितियां ही बदल चुकी होती हैं। कई दिनों तक खनिज की चोरी करने के बाद यदि थोड़ा-बहुत जुर्माना भी हो जाता है तो उससे गड़बड़ी करने वालों को फर्क नहीं पड़ता। पंचायत खनिज अधिकारियों को तो अधिकारी पंचायत को इसके लिए दोषी ठहराते हैं। खनिज अधिकारियों के मुताबिक माइनिंग एक्ट के तहत पंचायतों को अवैध उत्खनन व परिहवन के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है, लेकिन वे कार्रवाई नहीं करतीं। रेत हो या अन्य गौण खनिज की अवैध खुदाई, इसमें पंचायत और खुद माइनिंग डिपार्टमेंट के कुछ लोगों की मिलीभगत होती है। ये चंद रकम के लालच में अवैध कारोबारियों को संरक्षण देते हैं। राजस्व व पंचायत विभाग के अधिकारी अधिकार होने के बावजूद कार्रवाई करने से बचते हैं। वे माइनिंग डिपार्टमेंट के भरोसे रहते हैं। एसडीएम, तहसीलदार, जनपद सीईओ कभी भी अवैध खुदाई के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते शहर के कई हिस्सों में ऐसे नजारे भी देखे जा सकते हैं।

हम सहयोग के लिए तैयार हैं
अवैध उत्खनन का पता चलता है तो हम माइनिंग विभाग को इसकी सूचना देते हैं, लेकिन हमसे अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद करना ठीक नहीं है। अवैध उत्खनन रात में होता है। पुलिस व माइनिंग विभाग की संयुक्त टीम कार्रवाई करने आए तो हम सहयोग करेंगे।

पंचायतें कर सकती हैं कार्रवाई
ग्राम पंचायतों को अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन वे पहल नहीं करती हैं। यदि वे ऐसा करेंगी तो अवैध उत्खनन पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है  लेकिन जब ग्राम पंचायत अवैध तरीके से उत्खनन कर रही हो जांच की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं शिकायत मिलने पर हम जांच कराते हैं, लेकिन अमला कम होने की वजह से सभी शिकायतों की तत्काल जांच मुश्किल है

 पंचायत को समतलीकरण करने का अधिकार है अवैध उत्खनन करने का अधिकार नहीं है अगर यह हो रहा है तो गलत है

 अशोक द्विवेदी
 खनिज प्रशासन विभाग

बाइट ब्लॉक सीओ राजनगर
पंचायत के द्वारा समतलीकरण किया जा रहा है श्मशान घाट को कोई नुकसान नहीं है

Back to top button