नवजात के शव को लेकर बिखलता रहा परिवार, किसी ने नहीं की मदद, शव को बस से ले जाना पड़ा घर

भोपाल
सागर जिले के बंडा से दिल को छलनी करने वाली घटना सामने आई है। दरअसल, अपने नवजात बच्चे को अस्पताल से ले जाने के पैसे इकट्ठा न कर पाने के कारण दंपती ने अपने लाल को खो दिया। दंपती लोगों से मदद की भीख मांगते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। अस्पताल पहुंचने के कुछ देर बाद ही उनके बच्चे ने दम तोड़ दिया।

शव को घर ल जाने के लिए नहीं जुटे पैसे

सागर जिले के बंडा निवासी बाबूलाल रैकवार की पत्नी की तीन दिन पहले सिजेरियन डिलीवरी से एक बटे को जन्म दियाथा। हालांकि, जन्म लेने के बाद उस बच्चे की हालत काफी गंभीर हो गई थी। नवजात की हालत बिगड़ने पर शुक्रवार को 108 एंबुलेंस से भोपाल रेफर किया गया। पत्नी अस्पताल में भर्ती थी, बाबूलाल और उनकी मां नवजात के साथ कमला नेहरू अस्पताल आए। यहां कुछ ही घंटों बाद उपचार के दौरान नवजात ने दम तोड़ दिया।

शव वाहन ने मांगे सात हजार रुपये

लाचार स्वजन नवजात का शव लेकर बाहर आ गए। गांव तक की दूरी 200 किमी थी, लेकिन वहां तक जाने के पैसे नहीं थे। उसी वक्त शव वाहन चालक ने उनसे सात हजार रुपये मांगे, आर्थिक रूप से कमजोर परिवार इतने रुपयों तो घर पहुंचकर भी नहीं चुका सकता था। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन की मदद लेनी चाही लेकिन उन्होंने नियम न होने की बात कहकर शव वाहन उपलब्ध कराने से मना कर दिया। इसके बाद समाजसेवी मोहन सोनी ने पीड़ित को एक हजार रुपये की मदद की और उसे आटो से बस स्टैंड भेजा। इसके बाद लाचार पिता अपने नवजात को बस से घर लेकर गया।

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