सुस्त हैं DRDO के मिशन मोड वाले प्रोजेक्ट, सरकार ने राज्यसभा में दिया जवाब

नई दिल्ली
'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) बहुत सारे रक्षा उपकरणों पर काम कर रहा है। हालांकि जिन प्रोजेक्ट्स को मिशन मोड में रखा गया है उनमें से आधे देरी से चल रह हैं। रक्षा मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में यह जानकारी दी गई है। बता दें कि कुछ स्पेशल ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को प्राथमिकता दी गई थी और इन्हें पूरा करने के लिए समय निश्चित किया गया था। इसमें तेजस मार्क – 2 लाइट कॉम्बैड एयरग्राफ्ट, नेवल एलसीए और एआईपी भी  शामिल हैं।

इसके अलावा लाइट मशीन गन और अडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम भी हाई प्रायॉरिटी उपकरणों में शामिल है। जूनियर रक्षा मंत्री अजय भट ने राज्यसभा में लिखित  उत्तर देते हुए बताया कि कुल 55 में से 23 मिशन प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं। हालांकि ये ऐसी तकनीकें हैं जो कि कम समय मे भी भारत को विदेश से उपलब्ध हो सकती हैं। अन्य जो प्रोजेक्ट डिले हो रहे हैं उनमें सरफेस टु एयर मिसाइल, सरफेस टु सरफेस मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, एयर ड्रॉपेबर कंटेनर, साइमलैटर्स, टैक्टिकल रेडियो, रॉकेट, बम, आईसीवी-सी और लाइफ सपोर्ट सिस्टम शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि 55 में से 12 प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाई गई है। सिंगल इंजन तेजस वायुसेना के लिए बहुत जरूरी है। वर्तमान में वायुसेना के बेड़े में 30-31 विमान ही हैं जबकि चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों से निपटने के लिए कम से कम 42 की जरूरत है। वायुसेना ने कुल 123 तेजस विमानों में से 30 को ही बेड़े में शामिल कया है। इसके अलावा 73 इंप्रूव्ड मार्क-1ए फाइटर्स और 10 ट्रेनर का ऑर्डर फरवरी 2021 में दिया गया है जो कि 2024 से 2029 के बीच में मिलने की संभावना है।

अगस्त 2022 में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी ने मार्क-2 तेजस को और शक्तिशाली बनाने के लिए अतिरिक्त 6500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वहीं हल्के तेजस मार्क-1 मिग -21 को रीप्लेस करने के लिए बनाए गए थे। वहीं नौसेना को एलसीए की  जरूरत है। हालांकि इसके ऑपरेशन रेडी होने के लिए एक दशक का समय लग सकता है। भट ने राज्यसभा को यह भी बताया कि समय से प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है।

 

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