चीन के खिलाफ इंडिया का नया हथियार ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’, कैसे मिलेगी शह और देंगे मात समझिए

चीन
 
सीमा पर चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत ने अपनी नई तैयारियों पर काम शुरू कर दिया है। पहले गलवान घाटी और फिर तवांग सेक्टर में चीन की नापाक हरकत पहले ही सामने आ चुकी है। ऐसे में भारत ने चीन से सटे पांच राज्यों में नये गांव बसाने के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Village Program) शुरू करने जा रहा है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना से देश के पांच राज्यों के 2,962 गांवों का विकास किया जाएगा और इस योजना के तहत 4,800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश (लद्दाख ,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश) में सरकार भारत-चीन सीमा से सटे सीमावर्ती गांवों को विकसित करेगी ताकि जरूरत पड़ने पर चीन के खिलाफ ये गांव कारगर साबित हों। शिमला में पत्रकारों से बातचीत में अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस योजना के तहत 2,962 गांवों का विकास किया जाएगा और इस योजना के तहत 4,800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत पांच राज्यों में पहाड़ी राज्य भी शामिल है और इस योजना के तहत राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में 100 प्रतिशत सरकारी योजनाओं को लागू किया जाएगा, जिससे न केवल यहां बुनियादी ढांचा मजबूत होगा बल्कि पर्यटन में भी सुधार होगा। शिक्षा और सड़क सुविधा भी इसमें शामिल है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की सात नई बटालियनों को भी मंजूरी दी है, जिससे देश और राज्य को फायदा होगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए 4,800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ केंद्र प्रायोजित योजना – वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) को मंजूरी दे दी। उत्तरी सीमा पर प्रखंडों के गांवों का व्यापक विकास होगा जिससे चिन्हित सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

चीन की हर हरकत पर नजर, सीमा की सुरक्षा भी
गृह मंत्रालय के अनुसार, इससे लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने मूल स्थानों में रहने के लिए प्रोत्साहित करने और इन गांवों से पलायन को रोकने में मदद मिलेगी, जिससे सीमा की सुरक्षा में भी सुधार होगा। यह योजना देश के उत्तरी भूमि सीमा के साथ चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में 19 जिलों और 46 सीमा ब्लॉकों में आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास और आजीविका के अवसरों के निर्माण के लिए धन प्रदान करेगी जो समावेशी विकास को प्राप्त करने में मदद करेगी। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या को बनाए रखना शामिल है।

चरणबद्ध तरीके से काम करने की योजना
पहले चरण में, 663 गांवों को कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। ग्राम पंचायतों के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार, केंद्रीय और राज्य योजनाएं की पूरी तरह से सुनिश्चित की जाएगी। जिन प्रमुख परिणामों का प्रयास किया गया है, वे हैं, बारहमासी सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, पीने का पानी, 24×7 बिजली – सौर और पवन ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया जाना, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी। पर्यटक केंद्र, बहुउद्देश्यीय केंद्र और स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र भी इसमें शामिल है। सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के साथ ओवरलैप नहीं होगा। 4,800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन में से 2,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल सड़कों के लिए किया जाएगा।

चीन से मुकाबला कैसे
दरअसल, चीन ने अपने क्षेत्रीय दावे को मजबूत करने के लिए विवादित LAC पर कई सारे सीमावर्ती गांव बसाए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उसने सड़कों के जाल को भी मजबूत किया है।

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