रूस की फर्म ने लगाई 200 वंदे भारत ट्रेनों के लिए सबसे कम बोली,अब करेगी मैन्युफैक्चरिंग

नई दिल्ली
देश को अब तक दस वंदे भारत ट्रेनें मिल चुकी हैं. ये कुल टारगेट (200 लाइटवेट वंदे भारत) से कोसों दूर है. हालांकि, देश में वंदे भारत ट्रेनों पर लगातार काम चल रहा है. इसी कड़ी में इनकी मैन्युफैक्चरिंग व रखरखाव के प्रोजेक्ट के लिए कई कंपनियों ने बोली लगाई है. इसमें रूस की फर्म ट्रांसमैशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के संयुक्त उद्यम ने 200 लाइटवेट वंदे भारत ट्रेनों के मैन्युफैक्चरिंग व रखरखाव के लिए सबसे कम बोली लगाई है.

एजेंसी की खबर के मुताबिक, कंसोर्टियम ने करीब 58,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जिसमें एक ट्रेन सेट के विनिर्माण की लागत 120 करोड़ रुपये है. जो आईसीएफ-चेन्नई द्वारा निर्मित अंतिम वंदे भारत ट्रेनों की लागत 128 करोड़ रुपये प्रति सेट से कम है. दूसरी सबसे कम बोली टीटागढ़-बीएचईएल की थी, जिसने एक वंदे भारत के विनिर्माण की लागत 139.8 करोड़ रुपये लगाई.

ऐसे में टीएमएच-आरवीएनएल ने भेल-टीटागढ़ वैगन्स से कम बोली लगाई. जिससे ये दिखता है कि रूसी कंपनी भारतीय बाजार में प्रवेश करने की इच्छुक है. इससे माना जा सकता है कि आगे आने वाली वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण अब रूस की फर्म ट्रांसमैशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा किया जाएगा. हालांकि, अभी इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

इन दो कंपनियों के अलावा फ्रांसीसी रेलवे कंपनी एल्सटॉम, स्विटजरलैंड की रेलवे रोलिंग स्टॉक विनिर्माता स्टैडलर रेल और हैदराबाद स्थित मीडिया सर्वो ड्राइव्स का गठजोड़ मेधा-स्टैडलर, बीईएमएल और सीमेंस का गठजोड़ भी वंदे भारत प्रोजेक्ट के लिए लगाई जा रही बोली में शामिल रहीं. ये कॉन्ट्रैक्ट 58,000 करोड़ रुपये का है. जिसमें 200 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करना और अगले 35 वर्षों तक उनका रखरखाव करना शामिल है.

बता दें कि वंदे भारत एक सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन है, जिसमें 16 स्व-चालित कोच शामिल हैं, जो एक अलग लोकोमोटिव की आवश्यकता को समाप्त करते हैं. वंदे भारत ट्रेन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. इनमें जीपीएस आधारित सूचना सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे, वैक्यूम आधारित बायो टॉयलेट, ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर समेत तमाम सुविधाएं हैं. नई खूब‍ियों से लैस नेक्‍स्‍ट जनरेशन वाली वंदे भारत 2.0 ट्रेन में कवच (ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम) की सुविधा है.

इन ट्रेनों में बेहतर बैठने की सुविधा, एयर कंडीशनिंग में एक एंटी-बैक्टीरियल सिस्टम और केवल 140 सेकंड में 160 किमी / घंटा की गति देने की क्षमता जैसे सुधार हैं. केंद्र सरकार ने 2021-22 के बजट में 2024-25 के अंत तक भारत में 400 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था.

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