रामनवमी कब है , जानें पूजा विधि

 रामनवमी तिथि 30 मार्च गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान राम की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.11 बजे से दोपहर 1.40 तक है। इस तिथि के दिन भक्त नवरात्रि का उपवास तो रखते ही हैं, भगवान राम के भक्त उनको झूला झुलाते हैं। रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं, कई जगह भजन-कीर्तन किया जाता है। भगवान को भक्त पालने में झुलाकर प्रसन्न होते हैं। इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की शुरुआत की थी इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को पूजा की जाती है। जिसके बाद अंतिम दिन में भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बता दें नवरात्रि के पूजा की शुरुआत पहले दिन घटस्थापना से की जाती है। इस दिन अपनी इच्छा के अनुसार मां दुर्गा की आरधना के लिए भक्त मिट्टी, सोने, चांदी, तांबा या पीतल का कलश स्थापित कर सकते हैं।

हिंदू धर्म में नवरात्री का खास महत्त्व है। इन दिनों भक्त अपने सामर्थ्य के अनुसार मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं और मां को विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हैं। हिंदू तिथि के अनुसार चैत्र माह की नवरात्रि के नौवें दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। इस साल चैत्र माह की नवरात्रि 22 मार्च को शुरू हो रही है। ऐसे में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी राम नवमी 30 मार्च 2023 को मनाई जाएगी। बता दें ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार नवमी तिथि की शुरुआत 29 मार्च की रात्रि 09 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है, इस तिथि की समाप्ति 30 मार्च की रात्रि 11 बजकर 30 मिनट पर होगी।

इस बार किस पर सवार होकर आएगी मां दुर्गा?

 बता दें मां दुर्गा हर साल अलग-अलग सवारी पर आती हैं। मां के अलग-अलग सवारी का काफी महत्त्व होता है। जैसे कि इस साल (Navratri 2023) मां दुर्गा नांव पर सवार होकर आ रही है। शास्त्रों के अनुसार मां का नांव पर सवार होकर आना शुभ संकेत होता है। इसका मतलब जब भी मां दुर्गा नांव पर सवार होकर आती है कुछ शुभ होता है। इसके साथ ही ये भी बता दें की इस साल चैत्र नवरात्रि बुधवार को शुरु हो रही है, इसलिए मां दुर्गा की सवारी नौका है। जब मातारानी नौका पर सवार होकर आती हैं तो यह मनुष्यों के लिए शुभ संकेत होता है।

रामनवमी पूजा विधिः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के मुताबिक रामनवमी की पूजा इस तरह करनी चाहिए।

1. सबसे पहले स्नान ध्यान कर पूजा स्थल पर सभी जरूरी पूजा सामग्री के साथ बैठें।
2. पूजन सामग्री में तुलसी दल और कमल का फूल जरूर रहे।
3. इसके बाद षोडषोपचार पूजा करें।

4. खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
5. पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी को तिलक लगाए।

रामनवमी का महत्वः रामनवमी तिथि बेहद खास होती है। इसकी वजह यह है कि इस दिन भगवान राम की पूजा तो होती है, इस दिन नवरात्रि भी संपन्न होता है। मान्यता है कि इससे श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है और उनके सभी कष्ट का निवारण होता है।

कथाः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग में रावण ने ब्रह्माजी से अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके बाद वह लोगों पर अत्याचार करने लगा। उसके अत्याचार से देवता और मानव असह्य पीड़ा सह रहे थे। इससे दुखी देवता भगवान विष्णु से प्रार्थना करने उनके पास पहुंचे, उनकी प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने रामनवमी के दिन माता कौशल्या के गर्भ से अवतार लिया। इसके बाद तमाम लीलाएं दिखाते हुए भगवान ने रावण के अत्याचार से मानव और देवताओं को पीड़ा से मुक्त कराया।

 

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