भाजपा की 50 सांसद-विधायकों के साथ आपात बैठक

कर्नाटक
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के महज 24 घंटे के भीतर भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में से अपने शीर्ष 50 सांसदों व विधायकों की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक की अध्यक्षता पार्टी के संगठन सचिव बीएल संतोष और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। धर्मेंद्र प्रधान को कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया है। बैठक का मुख्य एजेंडा यह था कि ऐसे लोगों का चयन किया जाए जो प्रदेश में पार्टी की जीत को सुनिश्चित कर सके। इस बैठक में शामिल हुए एक व्यक्ति ने बताया कि यह वर्चुअल बैठक थी, हमे बताया गया था कि हमे जल्द से जल्द कर्नाटक पहुंचना है, अगले 72 घंटे के भीतर कर्नाटक पहुंचने के लिए कहा गया है। सांसद और विधायकों को कहा गया कि पार्टी ने 224 विधानसभा सीटों पर 115 मजबूत लोगों की पहचान की है, जोकि इस चुनाव में अपना पूरा ध्यान देंगे। हम सभी में से हर कोई 2-3 सीटों पर काम करेगा, हमे बताया गया है कि 115 सीटों को बी श्रेणी में रखा गया है, जिसका मतलब है कि यह सीटें मुश्किल हैं, लेकिन यहां पर जीत हासिल की जा सकती है।

50 लोगों को यह जिम्मा सौंपा गया है कि उसमे केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, बिहार के भाजपा विधायक संजीव चौरसिया, यूपी के विधायक सतीश द्विवेदी, आंध्र प्रदेश के पी सुधाकर रेड्डी,सांसद रमेश बिधुड़ी, निशिकांत दुबे, संजीव भाटिया हैं। इन लोगों को चुनाव से पहले अलग-अलग राज्यों में काम करने का अच्छा अनुभव है। रमेश बिधुड़ी ने बताया कि मैं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश समेत 9 राज्यों में पहले काम कर चुका हूं। हालांकि बिधुड़ी को अभी इस बात का इंतजार है कि उन्हें किस क्षेत्र में काम करना है, लेकिन उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि उनका काम क्या है। बिधुड़ी ने बताया कि हमे वहां जाना है और अपने कार्यकर्ताओं से बात करना है। हमे इन लोगों को प्रेरित करना और यह सुनिश्चित करना है कि मतदाताओं तक सही आइडिया पहुंचे। भाषा को लेकर बिधुड़ी ने कहा कि देशभर में भाजपा के कार्यकर्ता हिंदी समझते हैं।

झारखंड से सांसद निशिकांत दुबे ने बताया कि उन्हें अभी कर्नाटक के लिए जिम्मेदारी नहीं मिली है। गौर करने वाली बात है कि कर्नाटक एकमात्र दक्षिण भारत का राज्य है जहां पर भाजपा की सरकार है, ऐसे में यह चुनाव पार्टी के लिए अहम चुनौती है। बीएस येदियुरप्पा पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हैं। वह पार्टी का इस वक्त नेतृत्व नहीं कर रहे हैं, ऐसे में लिंगायत समुदाय को लेकर पार्टी में चिंता है। कर्नाटक में जो भी जा रहा है उन्हें मुख्य रूप से यह कहा जा रहा है कि आपको मतदाताओं में प्रधानमंत्री मोदी के प्रति भरोसा बढ़ाना है। पार्टी के डबल इंजन की सरकार के संदेश को आगे करना है, जिसकी बदौलत उत्तराखंड और गोवा में पिछले साल जीत मिली।
 

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