झुलसते मणिपुर में निकलने की होड़, किराया 2500 से बढ़कर 25000 रुपए हुआ

 इंफाल
हिंसा में झुलसते मणिपुर में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है. 100 से ज्यादा लोग जख्मी हैं. कई घर मलबे के ढेर में तब्दील हो चुके हैं तो वहीं आगजनी के बाद कई घर खंडहर बन चुके हैं. यहां के लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तरफ आगजनी और पथराव के बीच लोग डर के साए में रहने के लिए मजबूर हैं. उन्हें कई गुना ज्यादा कीमत पर पेट्रोल, राशन और दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं. तो वहीं दूसरी तरफ मणिपुर से बाहर निकलने के रास्ते भी मुश्किल होते दिखाई पड़ रहे हैं.

मणिपुर से जाने वाली फ्लाइट का किराया आसमान छूने लगा है. मणिपुर के इंफाल से कोलकाता जाने वाली फ्लाइट का किराया बढ़कर 12 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक हो गया है. वहीं, इंफाल से गुवाहाटी के बीच चलने वाली फ्लाइट के टिकट का दाम बढ़कर 15 हजार रुपए हो गया है. हालांकि, मणिपुर के हालात को देखते हुए इंफाल और कोलकाता के बीच अतिरिक्त फ्लाइट चलाई गई थीं, लेकिन बेतहाशा दाम बढ़ने से लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है.
269 KM के 15 हजार रुपए!

फ्लाइट बुकिंग वेबसाइट मेक माई ट्रिप के रेट चार्ट के मुताबिक आमतौर पर इंफाल से कोलकाता के बीच फ्लाइट का किराया 2500 रुपए से लेकर 5000 के बीच होता है. इतना ही किराया इंफाल से गुवाहाटी के लिए चलने वाली फ्लाइट का भी होता है. हवाई दूरी की बात करें तो इंफाल से कोलकाता की दूरी महज 615 किलोमीटर है, वहीं, इंफाल से गुवाहाटी की हवाई दूरी महज 269 किलोमीटर ही है.

आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

मणिपुर हिंसा मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी वाला की पीठ मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी. अर्जी में हिंसा ग्रस्त इलाकों में बेघर हुए मैती जनजाति के लोगों के पुनर्वास के लिए समुचित इंतजाम करने का आदेश देने की भी अपील की गई है.

इंफाल: कर्फ्यू में दी गई ढील

मणिपुर की राजधानी इंफाल की बात की जाए तो सोमवार को इंफाल के थंगल बाजार इलाके में कर्फ्यू में ढील दी गई. इस दौरान लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले. एजेंसी के मुताबिक 54 मृतकों में 16 शव चुराचंदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इम्फाल ईस्ट के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में हैं. इसके अलावा इंफाल पश्चिम के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की पुष्टि की है. हालांकि, प्रशासन सिर्फ 37 लोगों की मौत की पुष्टि कर रहा है. मणिपुर में हिंसाग्रस्त इलाकों से अब तक 23,000 लोगों को निकालकर सैन्य छावनियों में ले जाया गया है.

डॉ. जोशी को बनाया मुख्य सचिव

हिंसा से निपटने के लिए मणिपुर सरकार एक के बाद एक फैसले ले रही है. इसी क्रम में सरकार ने डॉ. विनीत जोशी को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है. मणिपुर कैडर के 1992 बैच के आईएएस अधिकारी जोशी ने डॉ. राजेश कुमार की जगह ली है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आए जोशी शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे. मणिपुर सरकार की अपील के बाद केंद्र ने जोशी को उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया है.

गृह मंत्री ने बना रखी है मामले पर नजर

केंद्र सरकार भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि उन्होंने सीएम से बात की है. सभी मुद्दे नियंत्रण में हैं. शाह लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. मणिपुर की जनता को धैर्य रखना चाहिए. अदालत ने एक आदेश दिया है इस आदेश पर चर्चा की जाएगी. इससे भयवीत होने की जरूरत नहीं है.

मणिपुर से अपने छात्र निकालेगा महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को कहा कि दंगा प्रभावित मणिपुर में फंसे राज्य के 22 छात्रों को पहले असम भेजा जाएगा, जहां से उन्हें घर वापस लाने के लिए एक विशेष विमान की व्यवस्था की जाएगी. सीएम कार्यालय ने बयान में कहा कि इनमें से 14 को मणिपुर में शिवसेना कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है. बयान में सीएम शिंदे ने कहा कि सरकार मणिपुर के हालात पर नजर रखे हुए है.

सीएम शिंदे ने महाराष्ट्र के छात्रों से बात की

सीएम ने कहा कि दो छात्रों विकास शर्मा और तुषार आव्हाड से  उन्होंने बात की है और उन्हें घर लौटने के लिए एक विशेष उड़ान की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है. सीएम शिंदे के कार्यालय ने बाद में और अपडेट साझा करते हुए कहा कि उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को फोन किया था ताकि महाराष्ट्र के छात्रों को घर लौटने के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने पर चर्चा की जा सके.

कैसे हुई विवाद की शुरुआत?

बता दें कि मैतेई समुदाय की ओर से मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इसमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का मुद्दा उठाया गया था. याचिका में दलील दी गई थी कि 1949 में मणिपुर भारत का हिस्सा बना था. उससे पहले तक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल था, लेकिन बाद में उसे एसटी लिस्ट से बाहर कर दिया गया.

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