राजधानी में रानी पद्मावती की प्रतिमा स्थापित, CM बोले-देश-भक्ति और पराक्रम आज भी हमारे लिए एक प्रेरणा-स्रोत

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ सोमवार को महाराणा प्रताप एवं महाराजा छत्रसाल की जयंती पर शूरवीरों के प्राकट्य दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके पहले महारानी पद्मावती की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया।

प्रतिमा के अनावरण के बाद महारानी पद्मावती को याद करते हुए कहा गया कि भारत की पावन धरती में समय-समय पर ऐसी वीरांगनाओं ने जन्म लिया है, जिनकी देश-भक्ति और पराक्रम आज भी हमारे लिए एक प्रेरणा-स्रोत है।

इसके बाद मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में हुए कार्यक्रम में इन सबने महाराणा को याद किया। इस मौके पर बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा महाराणा प्रताप और महाराजा छत्रसाल की जयंती पर 22 मई को सामान्य अवकाश घोषित किया गया है। कार्यक्रम में महाराणा प्रताप की वीरता का जिक्र कर सीएम चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम लेते ही हमारे सामने एक देश प्रेमी, स्वतंत्रता के  उपासक, स्वाभिमानी, वीरता के ओज से भरे लम्बी मूंछों वाले, हाथों में भाला लिए चेतक सवार अश्वारोही का चित्र उभरकर आता है।

हर भारतीय उन्हें श्रद्धा का पात्र और जन्मभूमि के स्वतंत्रता के संघर्ष का प्रतीक मानता है। महाराणा प्रताप का जन्म सूर्यवंशी राम के वंश के क्षत्रिय वर्ग की गहलोत वंशावली में सिसोदिया कुल में उदयपुर के राणा उदय सिंह के घर चित्तौड़ दुर्ग में सन 1540 को हुआ था। योद्धा के रूप में राणा पदवी इस वंश को सम्मान में दी गई थी।

देश में दो बार मनाई जाती है महाराणा प्रताप जयंती
राजपूत शासक महाराणा प्रताप के जन्म दिवस को लेकर मतभेद हैं। कुछ लोग 9 मई  को महाराणा प्रताप की जयंती मनाते हैं, वहीं कुछ लोग 22 मई को। दरअसल, अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को हुआ था। वहीं विक्रम संवत के मुताबिक, उनका जन्म 22 मई को हुआ था। इसलिए इस बार जयंती 22 मई को मनाई जा रही है।

रानी के पराक्रम को देश भुला नहीं सकता
रानी पद्मावती की प्रतिमा स्थापना के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा ऐसी वीरांगना महारानी का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। रानी पद्मावती के त्याग, बलिदान और पराक्रम को देशवासी कभी नहीं भुला सकते। जिस हिम्मत और वीरता के साथ महारानी पद्मावती भारत देश के लिए शौर्य की एक मिसाल बनी, वह अद्भुत है।

…चित्तौड़गढ़ के मंदिर में होती है रानी पद्मावती की पूजा
पद्मावती की एक महान रानी थी। जिन पर कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने एक कविता भी लिखी है। रानी पद्मावती अपनी सुंदरता के लिए पूरे भारत में जानी जाती थी। रानी पद्मिनी के अस्तित्व को लेकर इतिहास में कोई दस्तावेज मौजूद नही है। लेकिन चित्तोड़ में हमें रानी पद्मावती की छाप दिखाई देती है। आज भी राजस्थान में उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है। असल में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में बने एक मंदिर में पद्मावती यानी पद्मिनी की प्रतिमा स्थापित है।

इस मंदिर में देवी के स्वरूप में रानी का रूप दिखाया गया है। ये मुर्ति उनके जीवन के बारे में प्रतिमा मुखर होकर बोलती नजर आती है। इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में सन 1468 में राणा रायमल ने पद्मावती की मूर्ति की स्थापना करवाई थी। खुद चंद्रशेखर का परिवार 7 पीढ़ियों से इस मंदिर की पूजा कर रहा है।

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