26/11 अटैक में शामिल कमांडर भुट्टावी की पाक जेल में मौत

लाहौर
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के टॉप कमांडर और हाफिज सईद का खास अब्दुल सलाम भुट्टावी, जिसने 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को तैयार करने में मदद की थी, उसकी पाकिस्तानी जेल में मौत हो गई है। भुट्टावी को साल 2012 में यूएन ने आतंकी घोषित किया था। जिसके कई साल बाद उसे पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। हाफिज सईद के बहनोई के साथ आतंकवादी हरकतों में शामिल होने के आरोप में अदालत ने भुट्टावी को दोषी ठहराया और 16 साल की सजा सुनाई थी।

जानकारी मिली है कि अब्दुल सलाम भुट्टावी की जेल में दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौत हुई है। भुट्टावी को 2012 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी घोषित किया था। जिसके कई साल बाद पाकिस्तान ने उसे गिरफ्तार किया। भुट्टावी पर लश्कर के संस्थापक और आतंकवादी हाफिज सईद के बहनोई के साथ आतंकी वारदातों में शामिल होने का मुकदमा चला। जिसके बाद अगस्त 2020 में भुट्टावी को साढ़े 16 साल की सजा सुनाई गई थी।

साल 2002 से 2008 के बीच जब हाफिज सईद को पाकिस्तान पुलिस ने हिरासत में लिया था, तब भुट्टावी लश्कर के प्रमुख के तौर पर काम कर रहा था। भुट्टावी की मौत की घोषणा सोमवार देर रात आतंकी समूह से जुड़े कई संगठनों ने की।

घोषणाओं में कहा गया है कि भुट्टावी की सोमवार दोपहर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शेखपुरा जेल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। लश्कर के फ्रंट संगठनों ने कथित तौर पर 78 वर्षीय भुट्टावी के अंतिम संस्कार को दिखाने वाला एक वीडियो भी जारी किया, जो मंगलवार सुबह लाहौर के पास मुरीदके में आतंकी समूह के 'मरकज' या केंद्र में आयोजित किया गया था।

भारत ने की मौत की पुष्टि
भुट्टावी की मौत की भारतीय खुफिया अधिकारियों ने पुष्टि की है, लेकिन कहा कि आगे की जानकारी तत्काल उपलब्ध नहीं है।

मुंबई हमले में आतंकियों को किया था तैयार
नवंबर 2008 में तीन दिनों में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में कई स्थानों को निशाना बनाया था। जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों के नागरिकों सहित कुल 166 लोग मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए। इस हमले में शामिल आतंकियों को तैयार करने के पीछे भुट्टावी ही था।

सितंबर 2011 में जब अमेरिकी राजकोष विभाग ने भुट्टावी पर प्रतिबंध लगाया, तो उसने कबूला था कि वह 20 वर्षों के लिए धन उगाहने, भर्ती करने और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्यों को शिक्षित करने के लिए जिम्मेदार था।

 

Back to top button