जमीनी स्तर पर भी कम हुई महंगाई, टमाटर 50 फीसदी सस्ता, खाद्य तेलों की कीमतों में भारी गिरावट

नई दिल्ली
 खुदरा महंगाई के अप्रैल में गिरकर 4.7 फीसदी पर पहुंचने का असर जमीनी स्तर पर भी दिख रहा है। जरूरी वस्तुओं की कीमतों में भारी कमी आई है। टमाटर  एक साल में 50 फीसदी सस्ता हुआ है, खाने वाले तेलों की कीमतें भी  घटी हैं। गेहूं, चावल, आटा और दाल के दाम अभी भी ऊपर बने हुए हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दो जून, 2023 को आलू की कीमत प्रति किलो 21.33 रुपये थी, जो एक साल पहले 24.12 रुपये थी। प्याज का दाम 23.81 से घटकर 22.34 रुपये, चाय की कीमत 284.21 से घटकर 275.61 रुपये और टमाटर की कीमत 52 रुपये किलो से कम होकर 25 रुपये किलो पर आ गई है।

आंकड़े बताते हैं कि जरूरी वस्तुओं में ज्यादातर के दाम एक साल में घटे हैं। हालांकि, इसी दौरान चावल का दाम 36.16 रुपये किलो से बढ़कर 39.49 रुपये किलो, गेहूं की कीमत 27.51 रुपये से बढ़कर 29.09 रुपये और आटा की कीमत 31.31 से बढ़कर 34.31 रुपये किलो पर पहुंच गई है। चना दाल का दाम 73.95 से बढ़कर 74.68 रुपये, उड़द दाल का दाम 105.09 से बढ़कर 110.58 रुपये किलो हो गया है। इसी तरह मूंगदाल की कीमत 102.80 रुपये से 109.16 रुपये, चीनी की कीमत 41.75 से बढ़कर 42.62 रुपये और मूंगफली तेल की कीमत 186 से बढ़कर 190 रुपये पर पहुंच गई है। हालांकि, मसूर दाल इसी दौरान 96.85 से घटकर 92.33 रुपये किलो पर आ गई है। यह कीमतें पूरे देश में औसत आधार पर हैं।

मार्च में गिरकर 5.66 फीसदी पर आ गई थी महंगाई दर
खुदरा महंगाई लगातार घट रही है और मार्च में यह गिरकर 5.66 फीसदी पर आ गई थी, जबकि फरवरी में 6.44 फीसदी पर थी। महंगाई घटने से आरबीआई ने रेपो दर में वृद्धि का सिलसिला भी रोक दिया है। जानकारों का मानना है कि आगे खुदरा महंगाई में और कमी आ सकती है, जिससे दरों में वृद्धि भी रुक जाएगी।

कीमतें 49 रुपये लीटर तक घटीं
तेल           मौजूदा भाव           एक साल पूर्व
सरसों            146                     183
वनस्पति         131                     165
सोया              134                     168
सूरजमुखी       138                     192
पाम               107                     156
(आंकड़े प्रति लीटर रुपये में)

महंगाई रोकने के लिए केंद्र सरकार ने तय की दाल भंडारण की सीमा
केंद्र सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिलों के लिए अक्तूबर तक अरहर और उड़द दाल के भंडारण की सीमा तय कर दी है। जमाखोरी रोकने और भारतीय खान पान के अहम हिस्सा इन उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए यह कदम उठाया है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है जो तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है।

आदेश के मुताबिक, थोक विक्रताओं के लिए अरहर और उड़द प्रत्येक की 200 टन और खुदरा विक्रताओं और खुदरा दुकानों के लिए 5 टन स्टॉक रखने की सीमा तय की गई है। बड़ी शृंखला वाले खुदरा विक्रेता अपने डिपो में प्रत्येक का 200 टन तक भंडारण कर सकते हैं। मिलों के लिए उनके आखिरी तीन महीने के उत्पादन या वार्षिक संस्थापित क्षमता के 25 प्रतिशत में से जो भी अधिक है, उतने के भंडारण की सीमा निर्धारित की गई है।

इसी तरह आयातकों को सीमा शुल्क से निकासी के बाद 30 से अधिक समय तक स्टॉक रखने की अनुमति नहीं होगी। उपभोक्ता सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि भंडारण सीमा का यह आदेश 31 अक्तूबर तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। बता दें कि अरहर दाल का अखिल भारतीय औसत मूल्य 2 जिन को 122.68 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जो एक साल पहले के 103.25 रुपये किलोग्राम की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह, उक्त अवधि में उड़द दाल की कीमत 110.58 रुपये प्रति किलोग्राम रही, जो एक साल पहले के 105.05 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में 5.26 फीसदी ज्यादा है।

 

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