‘Ajmer-92 ‘100 लड़कियों से रेप की कहानी, जमीयत को परेशानी; बैन की मांग

मुंबई

'Ajmer 92' बॉलीवुड फिल्म को लेकर विवाद शुरू होता नजर आ रहा है। जमियत उलेमा-ए-हिंद चाहता है कि इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए। रविवार को अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने आरोप लगाए हैं कि यर फिल्म समाज को बांट देगी और दरार पैदा कर देगी। फिल्म साल 1992 में राजस्थान के अजमेर में हुए कई गैंगरेप और सैकड़ों स्कूली बच्चियों के ब्लैकमेलिंग की घटनाओं पर आधारित है। खास बात है कि हाल में 'The Kerala Story' भी विवादों में आ गई थी।

क्या हुआ था अजमेर में
साल 1992 में एक स्थानीय अखबार में खबरें आईं, जिनमें कहा गया कि एक गैंग ने कॉलेज और स्कूल की कई लड़कियों के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया। इस मामले में खादिम परिवार के सदस्य फारूख और नफीस चिश्ती का नाम प्रमुख रूप से सामने आया। कहा जाता है कि पीड़िताओं को बहाने से एक फार्महाउस में बुलाया जाता था, जहां एक-एक कर कई पुरुष उनका यौन उत्पीड़न करते थे।

एक मीडिया रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से बताया गया कि गैंग पीड़िताओं के अश्लील फोटों खींच लेता था और फिर उनपर अपनी सहेलियों को भी लाने का दबाव बनाता था। साथ ही इन आपत्तिजनक तस्वीरों की मदद से आरोपी बार-बार उन लड़कियों को हवस का शिकार बनाते थे।

राजस्थान के रिटायर्ड डीजीपी ओमेंद्र भारद्वाज उस दौरान पुलिस उपमहानिदेशक थे। वह बताते हैं, 'आरोपी सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावी वर्ग के थे और इसकी वजह से लड़कियों का सामने आना और मुश्किल हो गया।' जैसे ही ये खबरें सामने आईं, तो अजमेर में बवाल शुरू हो गया और प्रदर्शनों के चलते शहर पर कुछ दिनों के लिए ताला लग गया। खास बात है कि इस घटना में अधिकांश आरोपी मुस्लिम और अधिकांश पीड़ित हिंदू थे।

फिल्म पर बैन का तर्क
मदनी का कहना है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल हैं। उन्होंने कहा, 'उन्हें देश में शांति और सद्भावना के दूत के रूप में जाना जाता है।' उन्होंने कहा कि आज के समय में धार्मिक आधार पर समाज को बांटने के नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाए हैं, 'आपराधिक गतिविधियों को एक खास मजहब के साथ जोड़ने के लिए फिल्मों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो निश्चित हमारी साझा विरासत को नुकसान पहुंचाएगा।'

फिल्म के बारे में जानें
संभावनाएं जताई जा रही हैं कि यह फिल्म 14 जुलाई को रिलीज हो सकती है। फिल्म में करण वर्मा, सुमित सिंह, सायाजी शिंदे, मनोज जोशी, शालिनी कपूर सागर, बृजेंद्र काला, आकाश दहिया, राजेश शर्मा, ईशान मिश्रा समेत कई एक्टर शामिल हैं। फिल्म का डायरेक्शन पुष्पेंद्र सिंह ने किया है।

साल 2001 में राजस्थान हाईकोर्ट ने चार दोषियों को बरी कर दिया। जबकि, कुछ पर दोष बरकरार रखा, लेकिन आंशिक रूप से कुछ आरोप कम कर दिए गए थे। 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया था। 2012 में फरार चल रहे सलीम चिश्ती को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार किया। 2018 में सुहैल गनी चिश्ती ने पुलिस में सरेंडर कर दिया था।

 

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