चाचा से बगावत करेंगे अजीत पवार? NCP की बैठक से अचानक बाहर निकलकर चौंकाया

मुंबई
सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा के साथ ही शरद पवार की पार्टी में बगावत की बू आने लगी है। जिस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के गन्ना बेल्ट में पार्टी के 'नट-एंड-बोल्ट्स' मैन के रूप में जाने जाने वाले अजीत पवार को दरकिनार कर दिया गया, उससे वह जल्द ही बाहर निकाल गए। उन्होंने पार्टी के नए नवेले कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को बधाई तक नहीं दी। हालांकि, एनसीपी ने किसी भी बगावत से साफ इनकार कर दिया है।

एनसीपी ने कहा, ''अजीत पवार के पास पहले से ही महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में जिम्मेदारियां हैं। जयंत पाटिल पर भी पार्टी की जिम्मेदारी थी। प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले की पार्टी में कोई भूमिका नहीं थी, इसलिए अब उन्हें ये जिम्मेदारियां दी गई हैं। इस बात में एक फीसदी भी सच्चाई नहीं है कि अजीत पवार नाराज हैं।''

प्रफुल्ल पटेल को बधाई में शब्द कहे बिना ही अजीत पवार कार्यक्रम से बाहर निकल गए। यह पूरी घटना भले ही दिल्ली में हुई है, लेकिन बवाल मुंबई में मचा हुआ है। आपको बता दें कि अजीत पवार ने नवंबर 2019 में उस समय सनसनी पैदा कर दी थी, जब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिलाया था। विद्रोह समाप्त हो गया और वह एनसीपी में वापस आ गए। हालांकि, उनकी बेचैनी के बारे में अटकलें जारी रहीं। एनसीपी में कई विधायक ऐसे भी हैं, जो अजीत पवार में आस्था रखते हैं। इन विधायकों ने अजीत पवार के समर्थन में एनसीपी प्रमुख के समक्ष बंद कमरे में शक्ति प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद शरद पवार ने नाटकीय रूप से अपनी रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी। कई लोगों ने इस कदम को एक पैंतरेबाज़ी के रूप में देखा।

एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा, “अजीत पवार विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाना जारी रखेंगे। 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ बाद के विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।” सुबह बेचैन दिखने वाले अजीत पवार ने भी सोशल मीडिया के जरिए  “ऑल इज वेल: वी ऑल आर वन फैमिली” का संदेश देने की कोशिश की है।

हालांकि शरद पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर उस समय एनसीपी की स्थापना की थी, जब उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ उनके इतालवी मूल के आधार पर विद्रोह कर दिया था। उस समय अजीत पवार ही थे जिन्होंने महाराष्ट्र में पार्टी की जिम्मेदारी संभाली थी। ऐसा कहा जाता है कि वह खुद को अपने चाचा का स्वाभाविक और वैध उत्तराधिकारी मानते थे। अब जब उनके दावे को खारिज कर दिया गया है, सभी की निगाहें उनके अगले कदम पर टिकी होंगी।

 

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