अभिनय स्मृति सृजन सम्मान डॉ जानकी प्रसाद शर्मा जी को और सृजन पक्ष सम्मान डॉ बजरंग बिहारी तिवारी को दिया गया

भोपाल . हिन्दी भवन श्यामला हिल्स भोपाल में  प्रमुख साहित्यिक समूह पत्रिका 'सृजन पक्ष' के 8वें वार्षिक आयोजन के अवसर पर अभिनय फाउंडेशन का राष्ट्रीय स्तर का महत्वपूर्ण सम्मान  'अभिनय स्मृति सृजन सम्मान – 2023 प्रख्यात आलोचक डॉ जानकी प्रसाद शर्मा  दिल्ली को हिन्दी और उर्दू भाषाओं में उनके गहनतम आलोचनात्मक अवदान के लिए दिया गया। एवं  सृजन पक्ष का ' सृजन पक्ष सम्मान – 2023 मूर्धन्य आलोचक डॉ बजरंग बिहारी तिवारी को दलित विमर्श में उनके  उल्लेखनीय आलोचनात्मक अवदान के लिए एवं प्राचीन काव्य की  समकालीन सन्दर्भों  में  व्याख्या के लिए दिया गया। दोनों ही सम्मानित आलोचक जनपक्षधर आलोचना और जन आन्दोलन सहित जनवादी -प्रगतिशील मूल्यों में गहरी आस्था और सम्बद्धता रखते हैं।

यह सम्मान मूर्धन्य कवि राजेश जोशी ,मूर्धन्य आलोचक रामप्रकाश त्रिपाठी और वरिष्ठ कवि आलोचक निरंजन श्रोत्रिय के हाथों दिए गए। इससे पहले स्वागत भाषण सृजन पक्ष  के एडमिन कवि सुरेन्द्र रघुवंशी ने दिया। इस अवसर पर मूर्धन्य  समकालीन कवि राजेश जोशी, वरिष्ठ आलोचक रामप्रकाश त्रिपाठी ,  वरिष्ठ आलोचक डॉ निरंजन श्रोत्रिय ,सृजन पक्ष के एडमिन/सम्पादक प्रमुख समकालीन कवि  सुरेन्द्र रघुवंशी , वरिष्ठ कवि रामकिशोर मेहता,  वरिष्ठ कथाकार मनोज कुलकर्णी, प्रमुख समकालीन कवयित्री और 'पाखी' की सम्पादक आरती, वरिष्ठ कवयित्री मधु सक्सेना, प्रमुख समकालीन कवि बसंत सकरगाए , समकालीन प्रमुख समकालीन ग़ज़लकार दौलतराम प्रजापति, प्रमुख समकालीन व्यंग्यकार भारत शर्मा, प्रमुख सोशल एक्टिविस्ट  प्रदीप आर बी, सचिन जैन ,लोकेश शर्मा, मुदित भटनागर, विनोद जी,  श्याम शाक्य, अजीत आदि साहित्यकार मौजूद रहे।

प्रथम सत्र सम्मान समारोह रहा जिसमें  अभिनय स्मृति  सृजन सम्मान से सम्मानित मूर्धन्य आलोचक डॉ जानकी प्रसाद शर्मा ने साहित्य और आलोचना की समकालीन सन्दर्भों में विस्तृत व्याख्या करते हुए ऐतिहासिकरता को उसके रचनाकार  वक्तव्य दिया और समकालीन राजनैतिक स्थितियों को आड़े हाथों लेते हुए व्यवस्था को दर्पण दिखाया।उन्होंने अभिनय स्मृति सृजन सम्मान को महत्वपूर्ण बताया।

'सृजन पक्ष सम्मान ' से सम्मानित  मूर्धन्य आलोचक डॉ बजरंगबिहारी तिवारी ने समकालीन परिस्थितियों में साहित्य्कार की भूमिका को रेखांकित करते हुए  उसकी जनपक्षधरता को उसके रचनाकार होने की अनिवार्य शर्त बताया। उन्होंने प्राचीन काल से वर्तमान काल तक की कविता में प्रतिरोध को उदाहरण सहित प्रस्तुत करते हुए कविता में प्रतिरोध की ज़रूरत बताई। दोनों ही विद्धानों के वक्तव्य विस्तृत, उल्लेखनीय और ऐतिहासिक रहे जो पिन पोइंट साइलेंट में सुने गए। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने की। संचालन कवि बसंत सकरगाए ने किया। आभार मधु सक्सेना ने व्यक्त किया। द्वितीय सत्र में मौजूद सभी रचनाकारों ने रचना पाठ किया ।  अध्यक्षता रामकिशोर मेहता ने की।इस सत्र का संचालन लोकेश शर्मा ने किया एवं आभार दौलतराम प्रजापति ने व्यक्त किया।

Back to top button