CAG जांच के दायरे में सीएम केजरीवाल, सरकारी बंगले के रिनोवेशन का होगा ऑडिट

 नई दिल्ली

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक बंगले के रिनोवेशन की अब CAG ऑडिट होगी. इस ऑडिट में सरकारी बंगले के रिनोवेशन में हुई अनियमितताओं और उल्लंघनों की विशेष जांच होगी.
बता दें कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) दिल्ली के 6, फ्लैग स्टाफ रोड सिविल लाइन्स स्थित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के रिनोवेशन में प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं का विशेष ऑडिट करेंगे. यह कदम केंद्र द्वारा इस संबंध में सीएजी से किए गए अनुरोध के बाद उठाया गया है.

गृह मंत्रालय ने यह एक्शन LG सचिवालय की 24 मई, 2023 की सिफारिश के बाद लिया है. 24 मई को LG ऑफिस ने केजरीवाल के सरकारी बंगले में रिनोवेशन के खर्चों से जुड़े मामले को लेकर CAG द्वारा विशेष ऑडिट की सिफारिश की थी.  जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर आधिकारिक आवास के रिनोवेशन में वित्तीय अनियमितताओं (Financial Irregularities) की बात कही थी.

कोविड के कठिन समय में बंगले को सजा रहे थे सीएम

एलजी ने अपने पत्र में लिखा था कि सरकारी बंगले में रिनोवेशन के नाम पर बहुत पैसा खर्च किया गया था. यह सब उस वक्त किया जा रहा था जब देश में कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी. कोविड के कठिन समय में भी दिल्ली के सीएम अपने घर को संवारने में लगे थे.

'लोक निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री की मिलीभगत'

गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने लोक निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री की मिलीभगत से मुख्यमंत्री आवास के रिनोवेशन के नाम पर किए गए खर्चों पर सवाल खड़े किए थे.

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के मुताबिक सीएम आवास के रिनोवेशन में निम्नलिखित अनियमितताएं पायी गयीं थीं.

1) रिनोवेशन के नाम पर, एक नई इमारत का पुनर्निर्माण PWD ने किया.

2) निर्माण शुरू करने से पहले पीडब्ल्यूडी द्वारा संपत्ति के स्वामित्व का पता नहीं लगाया गया था.

3) शुरुआत प्रस्ताव मुख्यमंत्री के आवास में अतिरिक्त आवास देने  का था, हालांकि बाद में मौजूदा भवन को गिराने के बाद पूरी तरह से नए निर्माण के प्रस्ताव को मंत्री द्वारा मंजूरी दे दी गई.

4) इस रिनोवेशन की शुरुआती लागत 15-20 करोड़ रुपये थी. हालांकि, इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था और रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 52,71,24,570/- रुपये (लगभग 53 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं, जो शुरुआती अनुमान से 3 गुना से ज्यादा है. इसके अलावा, रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रमुख सचिव (पीडब्ल्यूडी) के एप्रूवल से बचने के लिए, 10 करोड़ रुपये से कम की राशि की विभाजित मंजूरी को कई बार में लिया गया.

5) इसके अलावा एमपीडी-2021 का घोर उल्लंघन किया गया है. MPD-2021 भूमि पुनर्विकास के मामलों में जुड़ा भूमि कानून है.

6) दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के अनुसार, 10 से ज्यादा के पेड़ों की कटाई के लिए शीर्ष अधिकारी की मंजूरी की जरूरत होती है. तो इससे बचने के लिए केजरीवाल सरकार ने 5 बार में अलग-अलग एप्रूवल लिए. पेड़ों की कटाई पांच बार में की गई. सबसे पहले 9 पेड़, फिर 2, फिर 6, फिर 6 और आखिरी में 5 पेड़ों की कटाई के लिए एप्रूवल लिया गया था. ऐसे करके कुल 28 पेड़ों को काटा गया. पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन से संबंधित यह मामला एनजीटी के समक्ष OA 334/2023 में भी पेंडिंग है.

AAP ने BJP पर साधा निशाना

CAG जांच के आदेश जारी होने के बाद आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधा है. आप ने कहा, 'भाजपा को पता है कि 2024 के आम चुनाव में उसका सफाया होने जा रहा है. इसी हताशा में राजनीतिक विरोधियों की आवाज दबाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार जांच एजेंसियों के खुलेआम दुरुपयोग पर उतारू है. मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण में खर्च की कैग जांच का आदेश भाजपा की हताशा, सनक और तानाशाही को उजागर कर रहा है. दिल्ली में लगातार एक के बाद एक चुनावी हार से बौखलाई भाजपा न सिर्फ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ईमानदार सरकार को बदनाम करने, बल्कि पर्दे के पीछे से यहां की सत्ता हथियाने की भी साजिश रच रही है. इसके तहत पहले फर्जी आबकारी घोटाला और अब सीएम आवास के पुनर्निर्माण में गड़बड़ी के मनगढ़ंत आरोप लगा रही है.'

'व्यापम घोटाले, असम सीएम से जुड़े घोटालों की भी हो जांच'

इसके आगे AAP ने भाजपा को घेरते हुए कहा, 'यह सारा प्रपंच पीएम मोदी के संरक्षण में अदाणी के किए अरबों के घोटाले से जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है. इसके तहत विपक्ष के नेताओं को एक-एक कर निशाना बनाया जा रहा है. यदि प्रधानमंत्री में हिम्मत है तो वह अदाणी के घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराएं. साथ ही मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाला, अयोध्या राम मंदिर में चंदा घोटाला, असम के मुख्यमंत्री के घोटाले की भी कैग या अन्य केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराई जानी चाहिए. दरअसल बदले की भावना के तहत इस तरह की ऊलजलूल हरकतों से भाजपा अपने अंत की ही पटकथा लिख रही है.

AAP ने दी थी सफाई

CM आवासम में हुए रिनोवेशन को लेकर पहले भी काफी विवाद हो चुका है. इस मामले में आम आदमी पार्टी की तरफ से सफाई भी दी गई थी. AAP सांसद और पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा था कि जिस घर में केजरीवाल रहते हैं वह 1942 में बना था. चड्डा का कहना था कि घर के अंदर से लेकर बेडरूम तक छत से पानी टपकता था. लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इसका ऑडिट किया था. उनका कहना था कि यह एक सरकारी बंगला है.

1 करोड़ की रसोई बनाने का आरोप
जब इस मामले ने तूल पकड़ा था तब दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा था कि मुख्यमंत्री के बंगले में आर्टिस्टिक ऑर्नामेन्टल कामों के साथ ही अन्य सौंदर्यकरण पर 11 करोड़ से अधिक के खर्च की बात सामने आई है. उन्होंने कहा था कि 11 करोड़ में तो दिल्ली में एक बहुत भव्य बंगला बन जाता है, तो वहीं दिल्ली के लोग स्तब्ध हैं बंगले में 2.58 करोड़ रुपये बिजली की फिटिंग हुई और 1.10 करोड़ रुपए में किचेन बनी है.

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