बाइडन ने भारतीय-अमेरिकी शमीना सिंह को राष्ट्रपति की निर्यात परिषद मे नियुक्त किया

वॉशिंगटन
 अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय-अमेरिकी मूल की शमीना सिंह को राष्ट्रपति की निर्यात परिषद में नियुक्त करने की घोषणा की है। यह परिषद अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर एक प्रमुख राष्ट्रीय सलाहकार के रूप में काम करती है।

सिंह मास्टरकार्ड सेंटर फॉर इन्क्लूसिव ग्रोथ की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि वह इस परिषद में शामिल होने को लेकर सम्मानित महसूस कर रही हैं।

व्हाइट हाउस की ओर से 14 जुलाई का जारी बयान में कहा गया है कि बाइडन ने सिंह को एक महत्वपूर्ण भूमिका के लिए नियुक्त करने की घोषणा की है। सिंह मास्टरकार्ड की प्रबंधन समिति की सदस्य भी है। बाइडन प्रशासन में बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोग कार्यरत हैं। सिंह भी अब इनमें शामिल हो गई हैं। बाइडन प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत भारतीय-अमेरिकी लोगों की संख्या 150 से अधिक है।

 

भारत सहित 140 देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वैश्विक कर समझौते के करीब

गांधीनगर
अमेरिका, भारत सहित लगभग 140 देश वैश्विक कर नियमों में बदलाव को लेकर एक समझौते के करीब हैं। इस समझौते में प्रावधान है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) को अपने परिचालन वाले देशों में कर का भुगतान करना होगा।

यहां जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक से इतर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के समावेशी ढांचे में 'ऐतिहासिक दो-स्तंभ के वैश्विक कर करार' को अंतिम रूप देने में भारत के प्रयासों की सराहना की। येलेन ने द्विपक्षीय बैठक में कहा, ''मेरा मानना है कि हम समझौते के नजदीक हैं।''

अंतरराष्ट्रीय कराधान प्रणाली में एक बड़े सुधार के तहत भारत सहित लगभग 140 देश वैश्विक कर नियमों में व्यापक बदलाव के लिए सहमत हुए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां जहां भी काम करती हैं, वहां वे न्यूनतम 15 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करें।

हालांकि, इस करार के लिए संबंधित देशों को सभी डिजिटल सेवा कर और इसी तरह के अन्य उपायों को हटाना होगा और भविष्य में इस तरह के उपाय लागू नहीं करने की प्रतिबद्धता जतानी होगी।

सौदे के कुछ पहलुओं… मसलन लाभ आवंटन में हिस्सा और कर नियमों के दायरे जैसे विषय को सुलझाया जाना बाकी है। समझौते के तकनीकी विवरण पर काम पूरा होने के बाद एक व्यापक सहमति वाला करार अस्तित्व में आएगा।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ने पिछले सप्ताह जारी एक परिणाम बयान में कहा कि कुछ क्षेत्रों ने बहुपक्षीय सम्मेलन (एमएलसी) में 'कुछ विशिष्ट वस्तुओं के साथ' चिंता व्यक्त की है। ओईसीडी ने कहा कि इन मुद्दों को हल करने का काम जारी है।

भारत जी20 देशों पर यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाल रहा है कि प्रस्तावित न्यूनतम कर करार का विकासशील देशों पर कोई 'अवांछित प्रभाव' नहीं पड़े। जी20 की कराधान की समावेशी रूपरेखा में विकासशील देशों की सदस्यता एक-तिहाई की है।

 

 

 

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